मंगल और राहु की युति से क्या होता है, जानिए ज्योतिष की नज़र से

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Angarak Dosh: मंगल और राहु एक दूसरे के शत्रु ग्रह है। दोनों के एक ही राशि या भाव में आने से यह इनकी क्रूरता में और इजाफा हो जाता है। मंगल और राहु की युति मिलकर अंगारक योग का निर्माण करती है। इस वक्त राहु मेष राशि में विराजमान है और 27 जून से मंगल भी इसी राशि में गोचर करने लगा है।
 
 
व्यक्तिगत प्रभाव : 
1. वैदिक ज्योतिष के अनुसार अंगारक योग को अशुम माना जाता है, जो कई तरह परेशानियां और विपत्तियां खड़ी करता है, क्योंकि मंगल ग्रह अग्नि तत्व प्रथान ग्रह होने के साथ ही एक क्रूर ग्रह है और वहीं राहु एक अशुभ ग्रह है।
 
2. अंगारक योग का अर्थ होता है अंगारे जैसा फल देने वाला योग। यह जिस भी भाव में बनता है, उस भाव के कारकत्वों को नष्ट करने की क्षमता रखता है।
 
3. इस योग के असर के चलते व्यक्ति के स्वभाव में परिवर्तन आता हैं और उसमें क्रोध की मात्रा बढ़ जाती है। साथ ही यह जिसभी भाव में रहता है जातक के उस भाव के फलों को नष्ट कर देता है। 
 
4. इस योग के कारण जातक के जीवन में घटना और दुर्घटना बढ़ जाती है और जातक खुद ही समस्याओं को निमंत्रण देता है। मंगल को भाई का कारक कहा जाता है, इसलिए इस योग के प्रभाव से कई बार जातक अपने भाइयों से झगड़ा करता है। 
 
5. अंगारक योग के कारण जातकों के शत्रु सक्रिय हो जाते हैं। जातक अत्यधिक रूप से शराब पीना और मांसाहर भोजन करने लगता है। उसका मानसिक तनाव बढ़ जाता है। 
देश और दुनिया पर प्रभाव :
1. मंगल वर्तमान में बृहस्पति की राशि में मित्रगृही होकर गोचर कर रहे हैं जो 27 जून को अपनी राशि में प्रवेश कर जाएंगे। मेष राशि में पहले से ही राहु गोचर कर रहे हैं। ऐसे में मंगल और राहु का संयुक्त प्रभाव अंगारक योग का निर्माण करेगा। यह युति इसलिए भी अशुभ मानी जा रही है क्योंकि जब शनि वक्री होंगे तो अपनी तीसरी दृष्‍टी इस युति पर डालेंगे जिसके चलते यह और खतरनाक हो जाएगा। शनि की कुंभ राशि के अंतर्गत यह दृष्टि 12 जुलाई तक रहेगी।
 
2. मंगल के इस राशि परिवर्तन का भारत और विश्व पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा। मंगल अग्नि तत्व कारक ग्रह है अग्नि तत्व कारक के साथ में राहु का होना अग्नि तत्व में वृद्धि कराएगा। ऐसे में आग, सेना सैन्य तंत्र, पुलिस बल, चक्रवात, तीव्र गति से वायु चलने एवं वायुयान दुर्घटना के योग बनने की संभावना हैं।
 
3. आजाद भारत की कुंडली वृषभ लग्न की है। ऐसे में मंगल सप्तम एवं व्यय भाव के कारक होकर व्यय भाव मेष राशि में राहु के साथ गोचर करने जा रहे हैं जिसके परिणाम स्वरूप यह परिवर्तन मिलाजुला माना जा रहा है। भारत के पूर्वोत्तर में बाढ़ के हालात रहेंगे, जिसके चलते जन और धन की हानि होगी। 
 
4. भारत में सैन्य तंत्र, पुलिस बल, आग, तीव्र गति से वायु चलने की संभावना, चक्रवात की संभावना, वाहन आदि जैसे ट्रेन में दुर्घटना और भूकंप के संकेत मिल रहे हैं। भारत में राजनीतिक अस्थिरता का निर्माण भी यह योग करेगा। 
 
5. स्व:गृही होने के कारण मंगल रूचक नामक राजयोग का निर्माण भी करेगा। जिसका प्रभाव मेष से लेकर के मीन राशि के जातकों पर पड़ेगा।

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