आषाढ़ मास विशेष
आषाढ़ मास में तीर्थस्नान, जप-पाठ, दान आदि का विशेष महत्व रहेगा। संक्रान्ति, पूर्णिमा और चन्द्र ग्रहण तीनों ही समय में यथा शक्ति दान कार्य करने चाहिए। जो तीर्थ स्थलों में न जा पाए उन्हें अपने घर में ही स्नान, दान कार्य कर लेने चाहिए।
इसके अतिरिक्त इस मास में विष्णु के सहस्त्र नामों का पाठ भी करना चाहिए तथा एकादशी तिथि,अमावस्या तिथि और पूर्णिमा के दिन ब्राह्मणों को भोजन तथा छाता, खडाऊ,आंवले, आम, खरबूजे आदि फल, वस्त्र, मिष्ठानादि का दक्षिणा सहित यथाशक्ति दान कर, एक समय भोजन करना चाहिए।