हमारी हिन्दू संस्कृति में ग्रहण का विशेष महत्त्व होता है। खगोलशास्त्री के लिए ग्रहण एक खगोलीय घटना है वहीं ज्योतिष शास्त्र के लिए ग्रहण भविष्य संकेत का एक अहम पड़ाव होते हैं। ग्रहण मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं-सूर्यग्रहण व चन्द्रग्रहण।
इनके भी विविध प्रकार होते हैं जैसे खग्रास या पूर्ण, खंडग्रास, मान्द्य, कंकणाकृति आदि। बहरहाल, ग्रहण को चाहें खगोलीय घटना कहें या ज्योतिष व धर्म से इसे सम्बन्धित करें एक बात निर्विवाद रूप से सत्य है कि ग्रहण हमारी पृथ्वी एवं इस पर रहने वाले समस्त जीवों को न्यूनाधिक रूप से प्रभावित अवश्य करते हैं।
खगोलशास्त्र की मानें तो ग्रहण के समय सूर्य व चन्द्र से कुछ ऐसी किरणों का उत्सर्जन होता है जो हमारे लिए हानिकारक होता है वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुछ विशेष राशि व जन्मकुण्डली वाले व्यक्ति इससे अधिक प्रभावित होते हैं। वर्ष 2020 में सूर्यग्रहण 21 जून को होगा।
21 जून को होने वाला यह ग्रहण खण्डग्रास/कंकणाकृति सूर्यग्रहण होगा। यह ग्रहण मृगशिरा व आर्द्रा नक्षत्र व मिथुन राशि पर मान्य होगा। यह ग्रहण सम्पूर्ण भारत में दृश्यमान होने के साथ-साथ बांग्लादेश, श्रीलंका, रूस, अफ़्रीका, ईरान, ईराक, नेपाल व पाकिस्तान में भी दिखाई देगा। भारत में दृश्यमान होने के कारण इस सूर्यग्रहण के समस्त सूतक-यम-नियम भारतवासियों पर लागू होंगे।
ग्रहणकाल-
दिनांक- 21 जून 2020, संवत् 2077 आषाढ़ कृष्ण पक्ष अमावस्या दिन रविवार
स्पर्श- 10:09 मि. पूर्वान्ह (AM)
मध्य- 11:47 मि. अपरान्ह (AM)
मोक्ष- 1:36 मि. मध्यान्ह (PM)
पर्वकाल- 3:27 मि.
सूतक- ग्रहण का सूतक दिनांक 20 जून 2020 को रात्रि 10:09 मि. (PM) से मान्य होगा।
ग्रहण का फल-
शुभफल- मेष, सिंह, कन्या, मकर
मध्यम फल- वृषभ, तुला, धनु, कुंभ
अशुभ फल- मिथुन, कर्क, वृश्चिक, मीन
-उपर्युक्त शास्त्रीय निर्देशानुसार मध्यम व अशुभ फल वालों को ग्रहण का दर्शन करना नेष्टकारक व वर्जित रहेगा। ग्रहण काल में साधकों व समस्त श्रद्धालुओं के लिए दान, मंत्र जप,स्वाध्याय, ईष्टदेव का मानसिक आराधन करना श्रेयस्कर रहेगा।