तीर्थ यात्रा में ना करें यह 32 अपराध... जरूर पढ़ें
हमारे जीवन में यात्रा का विशेष महत्व है। सभी लोग दूर-दूर की तीर्थ यात्रा पर जाते हैं। तीर्थयात्रा का धार्मिक महत्व अनेक वेद और पुराणों में वर्णित हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि किसी भी धार्मिक यात्रा पर जाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है। आइए जानते हैं....
1. सवारी पर चढ़कर अथवा पैरों में खड़ाऊ पहनकर श्री भगवान के मंदिर में जाना। 2. रथयात्रा, जन्माष्टमी आदि उत्सवों का न करना या उनके दर्शन न करना। 3. श्रीमूर्ति के दर्शन करके प्रणाम न करना। 4. अशौच-अवस्था में दर्शन करना। 5. एक हाथ से प्रणाम करना।
FILE
6. परिक्रमा करते समय भगवान के सामने आकर कुछ देर न रुककर फिर परिक्रमा करना अथवा केवल सामने ही परिक्रमा करते रहना। 7. श्री भगवान के श्रीविग्रह के सामने पैर पसारकर बैठना। 8. दोनों घुटनों को ऊंचा करके उनको हाथों से लपेटकर बैठ जाना। 9. मूर्ति के समक्ष सो जाना। 10. भोजन करना। 11. झूठ बोलना 12. श्री भगवान के श्रीविग्रह के सामने जोर से बोलना।
FILE
13. आपस में बातचीत करना। 14. मूर्ति के सामने चिल्लाना। 15. कलह करना 16. पीड़ा देना। 17. किसी पर अनुग्रह करना। 18. निष्ठुर वचन बोलना। 19. कम्बल से सारा शरीर ढंक लेना।
FILE
20. दूसरों की निंदा करना। 21. दूसरों की स्तुति करना। 22. अश्लील शब्द बोलना। 23. अधोवायु का त्याग करना। 24. शक्ति रहते हुए भी गौण अर्थात सामान्य उपचारों से भगवान की सेवा-पूजा करना। 25. श्री भगवान को निवेदित किए बिना किसी भी वस्तु का खाना-पीना। 26. ऋतु फल खाने से पहले श्री भगवान को न चढ़ाना।
FILE
27. किसी शाक या फलादि के अगले भाग को तोड़कर भगवान के व्यंजनादि के लिए देना। 28. श्री भगवान के श्रीविग्रह को पीठ देकर बैठना। 29. श्री भगवान के श्रीविग्रह के सामने दूसरे किसी को भी प्रणाम करना। 30. गुरुदेव की अभ्यर्थना, कुशल-प्रश्न और उनका स्तवन न करना। 31. अपने मुख से अपनी प्रशंसा करना। 32. किसी भी देवता की निंदा करना।