हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार चतुर्दशी तिथि (chaturdashi 2021) प्रत्येक मास में दो बार आती है। एक पूर्णिमा के बाद और एक अमावस्या के बाद। पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्दशी को कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी और अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्दशी को शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी कहते हैं। हिंदू पंचांग की चौदहवीं तिथि को चतुर्दशी या चौदस कहते हैं। चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शिव हैं। इस दिन भगवान शिव की पूजा के साथ-साथ शिव परिवार के सभी सदस्यों की पूजन-अर्चन किया जाता है।
पंचांग के अनुसार शुक्रवार, 17 दिसंबर 2021 को चतुर्दशी व्रत शुभ मुहूर्त और शुभ योग मनाया जा रहा है। आज जहां कृतिका नक्षत्र पूर्वाह्न 10.40 मिनट तक रहा, तत्पश्चात रोहिणी नक्षत्र का आरंभ होगा। आज प्रातः 08.13 मिनट तक सिद्ध योग के बाद साध्य योग रहेगा तथा गर करण योग सायं 06.03 मिनट तक, उसके बाद वणिज करण का आरंभ होगा। आज के दिन भगवान शिव की विशेष उपासना, पूजन-अभिषेक करना विशेष लाभप्रद रहेगा।
पूजन विधि- Chaturdashi Puja Vidhi
- चतुर्दशी के दिन सुख-शांति की कामना से शिव का पूजन किया जाता है।
- इस दिन शिव पर पुष्प चढ़ाने तथा शिव के मंत्रों के जप का विशेष महत्व माना गया है।
- पूरे विधि-विधान एवं मंत्र जाप से शिव की पूजा करने से मनुष्य सांसारिक बंधन से मुक्त हो जाता है।
- आज शिव-पार्वती की पूजा करने के बाद रात्रि जागरण तथा अगले दिन प्रात: स्नानादि से निवृत होकर पूजन करके ब्राह्मण को दान-दक्षिणा दें।
- फिर पारण करके व्रत को पूरा करें।
चतुर्दशी मंत्र- Chaturdashi Mantra
- 'ॐ नम: शिवाय'।
- 'शिवाय नम:'।
- 'ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नमः ॐ'। जीवन में कठिन समस्या उत्पन्न होने पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर मुख करके 1 लाख मंत्र जप करना चाहिए।