किंचिद्दान :- प्रयाग में माधव की प्रसन्नता के लिए, जाने-अनजाने पापों से छुटकारा पाने के लिए हर गृहस्थ को अपनी कमाई के अनुसार कुछ न कुछ दान अवश्य करना चाहिए। इसे किंचिद्दान (किंचित दान) कहा गया है। इसका बहुत महत्व है। प्रयाग में खासतौर से माघ महीने में यह दान करने से दानकर्ता सभी पापों से मुक्त हो जाता है।
किंचित का मतलब है- कुछ। इस कुछ का अर्थ आठ मुट्ठी अन्न माना गया है। हर गृहस्थ को खुद और संभव हो, तो अपनी पत्नी, पुत्रों से यह दान कराना चाहिए। इस दान से जाने-अनजाने पाप कट जाते हैं।
यमराज ने यह दान किया था :- पुराण कथा के अनुसार प्रयाग में रहकर यमराज ने अनेक दान किए, उन्होंने अपनी समझ से सारे दान कर लिए तो एक ब्राह्मण उनके पास आया, उसने कहा- यमराज, आपने अनेक ब्राह्मणों को अनेक दान किए हैं। मुझे ऐसा दान चाहिए, जो आपने अभी तक नहीं किया है।
यमराज ने कहा- मैंने सारे दान संपन्न किए हैं। ऐसा कौन-सा दान बाकी रह गया, जिसे मैंने नहीं किया। ब्राह्मण बोला, आपने सब दान तो किया, लेकिन किंचिद्दान नहीं किया। इस दान का अर्थ है- कुछ दान! कुछ का अर्थ है आठ मुट्ठी अन्न। यह दान विद्वान ब्राह्मण को प्रतिदिन देना चाहिए, इस दान से माधव प्रसन्न होते हैं।
किंचिद्दानेन में देव प्रसन्नो भव माधव॥
ब्राह्मण की बात सुनकर यमराज ने उसे किंचिद्दान किया, तब ब्राह्मण रूपधारी वेणीमाधव स्वयं अपने स्वरूप में यमराज के सामने प्रकट हो गए।