यद्यपि कुंभ स्नान परंपरा में हरिद्वार में पहला शाही स्नान संन्यासी-महात्माओं के 7 अखाड़े जिनमें पहले जूना अखाड़ा, अग्नि अखाड़ा, आह्वान अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा, आनंद अखाड़ा, महानिर्वाणी अखाड़ा एवं अटल अखाड़ा करते आ रहे हैं, लेकिन इस कुंभ में एक विशेषता यह देखने को मिली कि अखाड़ा परिषद के एक निर्णय के अनुसार वैरागी, उदासीन और निर्मल अखाड़े के संत भी प्रथम शाही स्नान में सम्मिलित हुए। इससे पूर्व ये अखाड़े बाद के साही स्नानों में सम्मिलित होते थे, संत मिलन का यह संगम अद्भुत था जिसमें इन अखाड़ों के श्री महंत शाही की अग्रिम पक्ति के साथ थे। बाद के शाही स्नान के क्रम में आखिरी में महानिर्वाणी अखाड़े की साही निकली। ब्रह्मकुंड स्नान के बाद शाही जुलूस के साथ साधु-महात्मा, नागा संन्यासी अपनी-अपनी छावनियों में लौट आए थे।