पुराणों में श्वान को यमराज से जोड़ा गया है अत: अशुभ है।
वास्तव में उल्लू व कबूतर की भांति ही कुत्ते यम के दूत माने गए हैं और अमांगलिक हैं, जिनसे सावधान होकर पितृलोक में मृतात्माओं के जाने के लिए कहा गया है। ये दूसरों का प्राण भक्षण कर तृप्त होते हैं।
ऋग्वेद में एक स्थान पर जघन्य शब्द करने वाले श्वानों का उल्लेख मिलता है, जो विनाश के लिए आते हैं। अत: श्वानों की आवाज को जघन्य माना गया है तथा इनका देखना भी अमांगलिक समझा गया है, क्योंकि मृतात्माओं को इनकी दृष्टि से बचाने के लिए सावधान किया गया है।
श्वान का गृह के चारों ओर घूमते हुए क्रंदन करना अपशकुन या अद्भुत घटना कहा गया है और इसे इन्द्र से संबंधित भय माना गया है। अत: श्वान के संबंध में वैदिक साहित्य में अपशकुनसूचक होने की ही प्रबल धारणाएं पाई जाती हैं, किंतु ईरान में श्वान के प्रति शुभ शकुनसूचक भावनाएं पाती जाती हैं।