रात में नाखून काटना शुभ या अशुभ? जानिए कितना सही, कितना गलत
हम अपने घरों में बहुत बार देखते हैं कि हमारे बड़े-बुजुर्ग हमें बहुत-सी बातों का ज्ञान देते रहते हैं, जैसे कि दिन छिपे झाडू मत लगाओ, गुरुवार के दिन सिर ना धोएं, चप्पल उलटी ना रखें इत्यादि।
इन्हीं विचारों में से एक विचार यह भी है कि रात को नाखून ना काटें। हमारे घर के बड़े हमें यह जरूर समझाते हैं कि हमें रात को नाखून नहीं काटने चाहिए। परंतु इसके पीछे क्या कारण है, यह हमें नहीं बताते। क्या सही में कोई ऐसा कारण है जिससे कि रात में नाखून काटने से जीवन में अशुभता आने लगती है।
पहले जमाने और आज के आधुनिक युग में बहुत अंतर है और ठीक उसी तरह पुराने जमाने के लोग और नए जमाने के लोगों के विचारों में भी बहुत अंतर है। जब तक नई जनरेशन को हर विचार से जुड़ा तर्क ना मिले, तब तक उनके लिए कोई भी विचार अपनाना असंभव है।
आइए जानते हैं कि रात में नाखून क्यों ना काटें?
रात में नाखून ना काटने के खास 3 कारण हैं-
पहला कारण : नाखून हमारी उंगलियों पर लगी एक मजबूत परत है, जो हमारी कोमल उंगलियों को काफी हद तक बचाकर रखती है। इसीलिए जब हम नाखून काटते हैं, तब हमें इस बात का खास ख्याल रखना पड़ता है कि हमारी उंगलियों को किसी भी प्रकार की हानि ना पहुंचे।
पुराने समय में ना तो सभी घरों में बिजली होती थी और ना ही हर समय बिजली आती थी। पुराने समय में लोग सूर्य की रोशनी के अनुसार ही अपने सभी कार्य करते थे। इसीलिए यह कहा जाता था कि नाखून दिन के समय में ही काटें ताकि किसी भी प्रकार की हानि ना हो।
दूसरा कारण : प्राचीन समय में नेल कटर लोगों के पास उपलब्ध नहीं था। उस समय में लोग नाखून या तो चाकू से काटते थे या किसी धारदार औजार से। और जैसा कि हमने अपने पहले ही वाक्य में बताया है कि पुराने समय में बिजली नहीं होती थी इसलिए पहले के लोग रात के अंधेरे में नाखून काटने से मना किया करते थे जिससे कि हमारे हाथों को किसी भी प्रकार की हानि ना हो।
तीसरा कारण : जब हम नाखून काटते हैं तो नाखून झटककर किसी खाद्य पदार्थ या किसी की आंख में जा सकता है, जो बहुत ही नुकसानदायक हो सकता है। इसीलिए पुराने समय में लोग कई कारणों के चलते नाखून काटने से मना करते थे।
अगर हम सभी बातों का सार देखें तो हम इस नतीजे पर आते हैं कि पुराने समय में बिजली की सही अवस्था ना होने के कारण हमारे बड़े-बुजुर्ग हमें रात में नाखून काटने से मना किया करते थे। परंतु बीतते समय के साथ लोगों ने इसे अंधविश्वास से जोड़कर एक वहम का रूप दे दिया है।