अद्भुत है यह मानव चोला। और उससे भी अद्भुत हैं यह ज़िंदगी। हमें ज़िंदगी का राज़ पाने के लिए ज़िंदगी को ज़िंदगी से जोड़े रखना होता है। इसी जोड़ के लिए ज्योतिष विज्ञान में जन्मपत्रिका, एक बहुत ही महत्वपूर्ण कड़ी का कार्य निभाती है। यहां कुछ प्रश्न उत्पन्न होते हैं- जैसे वास्तव में इसका क्या लाभ है? अगर है तो क्यों कुछ लोग इसमे विश्वास नहीं रखते? कुछ तो इसे अंधविश्वास मानते हैं, पर लुके-छिपे, विशेषकर अपने ऊपर कोई आपति आने पर वे भी ज्योतिषियों के पास जाते हैं।
ज्योतिष और जन्मपत्रिका का बहुत महत्व है, जो हमारे ऋषियों-मुनियों जैसे (वशिष्ठ, व्यास, वररुचि, वराह मिहिर, पाराशर, कश्यप, आर्यभट्ट, जयदेव, जीवशर्मा आदि) द्वारा आध्यात्मिक शक्तियों के आधार पर लिखा गया वैदिक ज्ञान है। ज्योतिष एक शुद्ध विज्ञान है। अगर सही गणित लगाया जाए तो किसी भी जातक को बताया जा सकता है कि, उनके आने वाले जीवन का क्या लेखा जोखा है। शंका का भाव मानव मन के साथ हमेशा लगा है, भविष्य जानने के लिए वे हमेशा उत्सुक है। ज्योतिष विज्ञान द्वारा, भूत में हुई, और भविष्य में होने वाली घटनाओं के संबंध में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
जन्मपत्रिका को जन्मकुंडली भी कहते हैं। अब यह प्रश्न भी उठता है कि आखिर, जन्मकुंडली है क्या? जन्म कुंडली आकाश का उस समय का नक्शा है, जब कोई बच्चा जन्म लेता है। उस समय आकाश में कौन सा ग्रह कहां है, इसका वर्णन जन्मकुंडली में होता है। जन्म कुंडली में स्थित नौ ग्रह और बारह रशियां ही मनुष्य जीवन को प्रभावित करते हैं। तारा-समूहों का सीधा प्रभाव पृथ्वीवासियों पर पड़ता है। जो नैसर्गिक गुण उन तारासमूहों के होते हैं, वे सब उन व्यक्तियों में पाए जाते हैं, जिन पर इस राशियों का प्रभाव पड़ता है। प्रत्येक राशि की अपनी एक अलग विशेषता और महत्व होता है जिसका स्वामी ग्रह जीवन में अत्यधिक क्रियाशील एवं महत्वपूर्ण होता है।
आप यह भी जान लीजिए की आकाशमंडल में अवस्थित असंख्य ताराओं के बारह समूहों को बारह राशियों मेष, वृष, मिथुन, कर्क, कन्या आदि के नाम से जाना जाता है। दरअसल कई तारे और नक्षत्र मिलकर आकाश-मण्डल में जो आकृति बनाते हैं, उसी के अनुरूप उनका नाम रखा गया है। जैसे मेष राशि के अंतर्गत पड़ने वाले तारा-समूहों को काल्पनिक रेखाओं से जोड़ा जाए तो मेढ़े के आकृति विशेष बनती है। इसी प्रकार अन्य राशियों के तारा-समूहों से अलग-अलग आकृति बनती है, जैसे वृष राशि से बैल, मिथुन से जुड़वां बच्चे, कर्क से कर्कट, सिंह से शेर, कन्या से कुंवारी कन्यादि की आकृति बनती हैं।
एक ही दिन में जन्मे विभिन्न व्यक्तियों के जन्म नक्षत्र और ग्रह-स्थिति अलग अलग होते हैं इसीलिए एक ही दिन में जन्म लेने वाले व्यक्तियों मे से कोई राजा होता है, कोई रंक, कोई नेता होता है, कोई चोर होता है तो कोई साहूकार।
जन्मकुंडली विवरण आपकी हथेली पर भी होता है। हथेली की इन रेखाओं में आपका भूत, भविष्य एवं वर्तमान छिपा हुआ है। इन्हीं रेखाओं द्वारा किसी भी व्यक्ति का स्वभाव, चरित्र एवं उसकी उन्नति एवं अवनति का ज्ञान हो सकता है।
“फलानि ग्रहचारेण सूचयंति मनीक्षिण:
को वक्ता तारतमयस्य तमेक वेध्न्स विना”
जन्मकुंडली देख ज्योतिष इस विज्ञान द्वारा भविष्य में होने वाली निर्धारित घटनाओं का संकेत या सूचना तो दे सकते हैं। पर विधाता ब्रह्मा के अतिरिक्त कौन निश्चित रूप से बता पाया है?
एक अच्छे ज्योतिष का यह कर्तव्य बनता है कि, वे जातक की जन्मपत्री या हस्तरेखा पढ़ने के बाद कोई ऐसी बात अगर कहनी आवश्यक ही हो तो, जातक को उसकी मानसिक शक्ति का एहसास दिलाएं और इस बात को दृढ़तापूर्व कहें कि, प्रबल इच्छा-शक्ति के द्वारा, ज्योतिषीय मार्गदर्शन से, हर दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदला जा सकता है।