जानिए श्रीगणेश पूजा की प्रामाणिक विधि और सही सामग्री...

श्री रामानुज
सर्वप्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश की पूजा में यदि सही सामग्री उपयोग की जाए और  प्रामाणिक विधि से गणेश पूजन किया जाए तो मनवांछित लाभ प्राप्त होते हैं। आइए जानते हैं  कि कौन सी सामग्री पूजन में उपयोग करना उचित है। 


 
सर्वप्रथम श्री गणेश की मूर्ति जो पवित्र तथा शुद्ध मिट्टी से बनी हो (हो सके तो आप खुद ही गणेशजी की मिट्टी की मूर्ति बनाएं) 



चावल, कुमकुम, दीपक, धूपबत्ती, दूध, दही, घी, शहद, शकर, साफ जल, श्री गणेश के लिए वस्त्र, सफेद फूल, नैवेद्य (मिठाई और फल), अष्टगंध।

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क्या है संकल्प : किसी विशेष मनोकामना के पूरी होने की इच्छा से किए जाने वाले पूजन में  संकल्प की जरूरत होती है। निष्काम भक्ति बिना संकल्प के भी की जा सकती है। पूजन शुरू  करने से पहले संकल्प लें। संकल्प करने से पहले हाथों में जल, फूल व चावल लें। संकल्प में  जिस दिन पूजन कर रहे हैं उस वर्ष, उस वार, तिथि उस जगह और अपने नाम को लेकर  अपनी इच्छा बोलें। अब हाथों में लिए गए जल को जमीन पर छोड़ दें।
 
 
 

 
कैसे लें संकल्प : जिस दिनांक---------- को श्री गणेश पूजन किया जाना है तो इस प्रकार  संकल्प लें।
 
मैं (अपना नाम बोलें) विक्रम संवत्----- को, भाद्रपद मास के, पक्ष----, तिथि को--- के दिन,  --- नक्षत्र में, -- देश के--- राज्य के--- शहर में श्री गणेश का पूजन कर रही/रहा हूं। श्री  गणेश मेरी मनोकामना----------- (मनोकामना बोलें) पूरी करें।

जानिए श्री गणेश पूजन सरल विधि
 
सबसे पहले मूर्ति में श्री गणेश का आवाहन करें। आवाहन यानी कि बुलाना। श्री गणेश को  अपने घर बुलाएं। श्री गणेश को अपने घर में सम्मान सहित स्थान दें यानी कि आसन दें। अब  श्री गणेश को स्नान कराएं। स्नान पहले जल से फिर पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शकर)  से और वापस जल से स्नान कराएं।
 
अब श्री गणेश को वस्त्र पहनाएं। वस्त्रों के बाद आभूषण और फिर यज्ञोपवीत (जनेऊ) पहनाएं।  अब पुष्पमाला पहनाएं। सुगंधित इत्र अर्पित करें। अब तिलक करें। तिलक अष्टगंध या सिन्दूर  से करें। अब धूप व दीप अर्पित करें। आरती करें। आरती के पश्चात परिक्रमा करें। अब नेवैद्य  अर्पित करें। पान अर्पित करें। नैवेद्य में पंचामृत अर्पित करें। लड्डओं का या गुड़ का भोग  लगाएं। दूर्वा अर्पित करें। अब दक्षिणा अर्पित करें। 

श्री गणेश पूजन के इस पूरे विधान में 'ॐ गं गणपतये नम:' मंत्र का जप करते रहें।


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