Jupiter transit 2021 : ज्ञान, विद्या, धर्म और उच्च पद के कारक बृहस्पति ग्रह अपनी राशि परिवर्तन कर रहे हैं। वे वक्री करते हुए मकर राशि में प्रवेश करेंगे। 15 सितंबर से 20 नवंबर तक मकर राशि में वापस विराजमान रहेंगे। उसके बाद कुंभ राशि में गोचर कर जाएंगे। पंचांग के अनुसार मकर राशि में गुरु का राशि परिवर्तन ( guru grah ka rashi parivartan 2021 ) 5 सितंबर 2021 को प्रात: 4 बजकर 22 मिनट बजे होगा और यहां वे 20 नवंबर 2021 को सुबह 11 बजकर 23 मिनट तक रहेंगे। इस दृष्टि से 16 सितंबर गुरुवार का दिन बहुत ही विशेष और शुभ रहने वाला है।
नीचभंग राजयोग :16 सितंबर को गुरु के मकर राशि में होने से उनके संयोग शनिदेव होगा। यहां गुरु नीचभंग राजयोग बना रहे हैं। यह योग जिस किसी की कुंडली में होता है वह राजनीति के उच्च पद पर विराजमान होता है। 16 सितंबर को जन्म लेने वाले बालक इस योग में जन्म लेंगे। गुरु की शुभ स्थिति व्यक्ति को प्रशासनिक पद पर आसीन करती है। ऐसे लोग प्रशासन, राजनीति आदि के क्षेत्र में उच्च पद प्राप्त करते हैं।
शोभन योग : इस दिन शोभन योग रहेगा। शुभ कार्यों और यात्रा पर जाने के लिए यह योग उत्तम माना गया है। इस योग में शुरू की गई यात्रा मंगलमय एवं सुखद रहती है। मार्ग में किसी प्रकार की असुविधा नहीं होती जिस कामना से यात्रा की जाती है वह भी पूरी होकर आनंद की अनुभूति होती है। इसीलिए इस योग को बड़ा सजीला एवं रमणीय भी कहते हैं।
चंद्र रहेंगे धनु राशि में : इस दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के दौरान चंद्रमा का गोचर धनु राशि में होगा। धनु राशि के स्वामी बृहस्पति ग्रह हैं। यह एक अच्छा संयोग है, जो धन समृद्धि बढ़ाने वाला है।
तिथि : इस दिन भाद्रपद की दशमी तिथि रहेगी। दशमी (दसम) के देवता हैं यमराज। इस तिथि में यम की पूजा करने से नरक और मृत्यु का भय नहीं रहता है। यह सौम्य अर्थात शांत तिथि हैं। इसमें पूजा का महत्व है। वैसे भी इस दौरान गणेश उत्सव चल रहे हैं। शनिवार को दशमी मृत्युदा और गुरुवार को सिद्धिदा होती है। इस बार दशभी सिद्धिदा है अर्थात हर कार्य सफल होंगे। दशमी तिथि प्रात: 09 बजकर 38 मिनट पर समाप्त हो रही है। इसके बाद एकादशी की तिथि का आरंभ होगा जो भी और भी शुभ मानी गई है। इस तिथि में व्रत रखकर सभी तरह के संकटों से बचा जा सकता है। भाद्र शुक्ल की एकादशी को परिवर्तनी एकादशी के नाम से जाना जाता है।
गुरुवार : गुरुवार की दिशा ईशान है। ईशान दिशा में ही शिवजी सहित सभी देवी और देवता विराजमान हैं। यह दिन सभी गुरु और भगवान विष्णु को समर्पित है। पूजा के लिए यह खास दिन होता है।
ये उपाय करें :
1. इस दिन प्रात: काल उठकर स्नानआदि से निवृत्ति होकर श्री हरि विष्णु जी की पूजा करें और हो सके तो विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
2. माथे पर केसर का तिलक जरूर लगाएं जिससे गुरु की शुभता बढ़ती है।
3. इस दिन पीपल की परिक्रमा करें और कच्चा दूध चढ़ाएं।
4. इस दिन झूठ बोलना और किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए।
5. यदि गुरु नीच हो हो रहा है या अशुभ फल दे रहा है तो पीली वस्तुएं मंदिर में दान करें।