Guru Pushya : गुरु पुष्य क्या है, शुभ फल देने वाले इस नक्षत्र की 25 बड़ी बातें

अनिरुद्ध जोशी
Guru Pushya Nakshatra 2021: गुरु पुष्‍य नक्षत्र में खरीदारी करना शुभ माना जाता है और इस दिन को नये कार्य को करने का भी शुभ दिन माना गया है। आओ जानते हैं कि गुरु पुष्य क्या है और शुभ फल देने वाले इस नक्षत्र की 25 बड़ी बातें।
 
 
गुरु पुष्‍य नक्षत्र क्या है : 27 नक्षत्रों में से एक आठवां नक्षत्र पुष्‍य है और 28वां नक्षत्र अभिजीत है। जिस वार को पुष्य नक्षत्र आता है उसे उसी वार के अनुसार जाना जाता है। जैसे रवि पुष्‍य योग, शनि पुष्य योग, गुरु पुष्य योग। बुधवार और शुक्रवार के दिन पड़ने वाले पुष्य नक्षत्र उत्पातकारी भी माने गए हैं। बाकि दिन आने वाले पुष्‍य नक्षत्र शुभ है और उनमें भी शनि और गुरु पुष्‍य ( गुरु पुष्य नक्षत्र 2021 ) को सबसे शुभ माना गया है।
 
हिंदू पंचांग के हर महीने में अपने क्रम के अनुसार विभिन्न नक्षत्र चंद्रमा के साथ संयोग करते हैं। जब यह क्रम पूर्ण हो जाता है तो उसे एक चंद्र मास कहते हैं। इस प्रकार हर महीने में पुष्य नक्षत्र का शुभ योग बनता है। नक्षत्र कथा के अनुसार ये 27 नक्षत्र भगवान ब्रह्मा के पुत्र दक्ष प्रजापति की 27 कन्याएं हैं, इन सभी का विवाह दक्ष प्रजापति ने चंद्रमा के साथ किया था। चंद्रमा का विभिन्न नक्षत्रों के साथ संयोग पति-पत्नी के निश्चल प्रेम का ही प्रतीक स्वरूप है। इस प्रकार चंद्रवर्ष के अनुसार महीने में एक दिन चंद्रमा पुष्य नक्षत्र के साथ भी संयोग करता है, शुभ कहा गया है।
 
 
25 बड़ी बातें : ( Guru Pushya Nakshatra 2021 )
1. 25. अन्य माह के पुष्य नक्षत्र से ज्यादा दीपावली के पहले आने वाला पुष्य नक्षत्र खास माना जाता है, क्योंकि दीपावली के लिए की जाने वाली खरीदी के लिए यह विशेष शुभ होता है जिससे कि जो भी वस्तु इस दिन आप खरीदते हैं वह लंबे समय तक उपयोग में रहती है।
 
2. इस क्षत्र में मान्यता अनुसार इस दौरान की गई खरीदारी अक्षय रहेगी। अक्षय अर्थात जिसका कभी क्षय नहीं होता है।
 
3. इस नक्षत्र में सोना, चांदी, वाहन, ज्वेलरी, मकान, प्लैट, दुकान, कपड़े, बर्तन, श्रृंगार की वस्तुएं, स्टेशनरी, मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं और बहीखाते खरीदना शुभ होता है।
 
4. इन नक्षत्र में शिल्पकला और चित्रकला की पढ़ाई प्रारंभ करना, मंदिर निर्माण और घर निर्माण प्रारंभ करना, उपनयन संस्कार के बाद विद्याभ्यास करना, दुकान खोलना, नया ‍व्यापार करना, निवेश आदि करना शुभ है।
 
5. बुधवार और शुक्रवार के दिन पड़ने वाले पुष्य नक्षत्र उत्पातकारी भी माने गए हैं। अत: इस दिन कोई भी शुभ या मंगल कार्य ना करें और ना ही कोई वस्तु खरीदें।
 
6. विदवानों का मानना है कि इस दिन विवाह नहीं करना चाहिए क्योंकि पुष्य नक्षत्र को ब्रह्माजी का श्राप मिला हुआ है, इसलिए यह नक्षत्र विवाह हेतु वर्जित माना गया है।
 
7. पुष्य नक्षत्र का शाब्दिक अर्थ है पोषण करना या पोषण करने वाला। इसे तिष्य नक्षत्र के नाम से भी जानते हैं। तिष्य शब्द का अर्थ है शुभ होना। 
 
8. कुछ ज्योतिष पुष्य शब्द को पुष्प शब्द से निकला हुआ मानते हैं। पुष्प शब्द अपने आप में सौंदर्य, शुभता तथा प्रसन्नता से जुड़ा है।
 
9. वैदिक ज्योतिष के अनुसार गाय के थन को पुष्य नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह माना जाता है। ऋगवेद में पुष्य नक्षत्र को मंगलकर्ता भी कहा गया है। इसके अलावा यह समृद्धिदायक, शुभ फल प्रदान करने वाला नक्षत्र माना गया है।

10. इसे 'ज्योतिष्य और अमरेज्य' भी कहते हैं। अमरेज्य शब्द का अर्थ है- देवताओं का पूज्य।
11. बृहस्पति को पुष्य नक्षत्र के देवता के रूप में माना गया है। दूसरी ओर शनि ग्रह पुष्य नक्षत्र के अधिपति ग्रह माने गए हैं। इसीलिए शनि का प्रभाव शनि ग्रह के कुछ विशेष गुण इस नक्षत्र को प्रदान करते हैं। पुष्य नक्षत्र के सभी चार चरण कर्क राशि में स्थित होते हैं जिसके कारण यह नक्षत्र कर्क राशि तथा इसके स्वामी ग्रह चन्द्रमा के प्रभाव में भी आता है। चूंकि बृहस्पति शुभता, बुद्धि‍मत्ता और ज्ञान का प्रतीक हैं, शनि स्थायि‍त्व का, इसलिए इन दोनों का योग मिलकर पुष्य नक्षत्र को शुभ और चिर स्थायी बना देता है। इसके साथ ही चन्द्रमा को वैदिक ज्योतिष में मातृत्व तथा पोषण से जुड़ा हुआ ग्रह माना जाता है। शनि, बृहस्पति तथा चन्द्रमा का इस नक्षत्र पर मिश्रित प्रभाव इस नक्षत्र को पोषक, सेवा भाव से काम करने वाला, सहनशील, मातृत्व के गुणों से भरपूर तथा दयालु बना देता है जिसके चलते इस नक्षत्र के प्रभाव में आने वाले जातकों में भी यह गुण देखे जाते हैं। 
 
12. पुष्य नक्षत्र के सभी चार चरण कर्क राशि में स्थित होते हैं। पुष्य नक्षत्र के चार चरणों से प्रथम का स्वामी सूर्य, दूसरे का स्वामी बुध, तीसरे का स्वामी शुक्र और चौथे का स्वामी मंगल है।
 
13. वैदिक ज्योतिष के अनुसार पुष्य नक्षत्र को सभी नक्षत्रों का राजा कहा गया है। पुष्य को एक पुरुष नक्षत्र माना जाता है जिसका कारण बहुत से वैदिक ज्योतिषी इस नक्षत्र पर बृहस्पति का प्रबल प्रभाव मानते हैं। पुष्य नक्षत्र को क्षत्रिय वर्ण प्रदान किया गया है और इस नक्षत्र को पंच तत्वों में से जल तत्व के साथ जोड़ा जाता है।
 
14. मुहूर्त चिंतामणि नक्षत्र प्रकरण ग्रंथ के श्लोक 10 के अनुसार, पुष्य, पुनर्वसु और रोहिणी इन तीन नक्षत्रों में सधवा स्त्री नए स्वर्ण आभूषण और नए वस्त्र धारण नहीं करें, ऐसा लिखा है। मतलब यह कि इस दिन संभवत: स्वर्ण तो खरीदा जा सकता है लेकिन पहना नहीं जा सकता।
 
15. इस दिन पूजा या उपवास करने से जीवन के हर एक क्षेत्र में सफलता की प्राप्ति होती है। सर्वप्रथम अपने घरों में सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय मां लक्ष्मी के सामने घी से दीपक जलाएं। किसी नए मंत्र की जाप की शुरुआत करें।
 
16. इस दिन दाल, खिचड़ी, चावल, बेसन, कड़ी, बूंदी की लड्डू आदि का सेवन करने और यथाशक्ति दान करने की परंपरा है।
 
17. इस दिन से नए कार्यों की शुरुआत करें, जैसे ज्ञान या विद्या आरम्भ करना, कुछ नया सीखना, दुकान खोलना, लेखक हैं तो कुछ नया लिखना आदि।
 
18. पुष्य नक्षत्र में दिव्य औषधियों को लाकर उनकी सिद्धि की जाती है। जैसे इस दिन हत्था जोड़ी लाकर उसकी विशेष पूजा की जाती और उसे चांदी की डिबिया में सिंदूर लगाकर तिजोरी में रखा जाता है जिससे लक्ष्मी का स्थाई निवास होता है। यह प्रयोग शंखपुष्‍पी की जड़ के साथ भी किया जा सकता है। दोनों ही प्रयोग किसी ज्योतिष से पूछकर ही करें।
 
19. इस दिन कुंडली में विद्यमान दूषित सूर्य के दुष्प्रभाव को घटाया जा सकता है। इसके लिए सूर्य को अर्ध्य दें और सूर्य से संबंधित वस्तुओं का दान करें।
 
20. पुष्य नक्षत्र के नाम पर एक माह पौष है। 24 घंटे के अंतर्गत आने वाले तीन मुहूर्तों में से एक 20वां मुहूर्त पुष्य भी है। कुछ खास मुहूर्त जैसे सर्वार्थसिद्धि, अमृतसिद्धि आदि में गुरुपुष्यामृत और रविपुष्यामृत योग का भी नाम आता है।
 
21. पुष्य नक्षत्र का संयोग जिस भी वार के साथ होता है उसे उस वार से कहा जाता है। जैसे- गुरुवार को आने पर गुरु-पुष्य, रविवार को रवि-पुष्य, शनिवार के दिन शनि-पुष्य और बुधवार के दिन आने पर बुध-पुष्य नक्षत्र कहा जाता है। सभी दिनों का अलग-अलग महत्व होता है। गुरु-पुष्य, शनि पुष्य और रवि-पुष्य योग सबसे शुभ माने जाते हैं।
 
22. इस दिन धन का निवेश लंबी अवधि के लिए करने पर भविष्य में उसका अच्छा फल प्राप्त होता है।
 
23. इस शुभदायी दिन पर महालक्ष्मी की साधना करने, पीपल या शमी के पेड़ की पूजा करने से उसका विशेष व मनोवांछित फल प्राप्त होता है। इस दिन पीपल, शमी और आंकड़े के पेड़ या दूध वाले पेड़ की पूजा कर सकते हैं। इससे हर एक क्षेत्र में सफलता की प्राप्ति होती है।
 
24. इस दिन रोटी पर घी चुपड़कर उसके साथ गुड़ मिलाकर गाय को खिलाने से धन लाभ प्राप्त होता है।
 
25. लक्ष्मी माता के समक्ष घी का दीपक जलाकर उन्हें कमल पुष्प अर्तित करके इस दिन श्रीसूक्त का पाठ करने से माता लक्ष्मी बहुत ही जल्द प्रसन्न होती है। इस शुभदायी दिन पर माता लक्ष्मी की पूजा और साधना करने से उसका विशेष फल प्राप्त होता है। सर्वप्रथम अपने घर में सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय मां लक्ष्मी के सामने घी से दीपक जलाएं। किसी नए मंत्र की जाप की शुरुआत करें। फिर पूजा आदि करने के बाद श्रीसूक्त का पाठ करें और बाद में फिर पूजा करें।
 

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