वर्ष 2021 में गुरु-पुष्य का पहला शुभ संयोग गुरुवार, 28 जनवरी को बन रहा है। देवगुरु बृहस्पति को पुष्य नक्षत्र का अधिष्ठाता देवता माना गया है। पुष्य नक्षत्र का स्वभाव शुभ होता है। अत: यह नक्षत्र शुभ संयोग निर्मित करता है और इस दिन विशेष उपाय व मंत्र जाप करने से जीवन के हर क्षेत्र में शुभ फल मिलने लगते हैं। ज्योतिष के अनुसार गुरुवार का दिन नक्षत्र की दृष्टि से बेहद खास रहने वाला है, क्योंकि इस दिन एक अच्छा शुभ संयोग बनने जा रहा है।
ज्योतिष के अनुसार देवगुरु बृहस्पति का पुष्य नक्षत्र में आने से यह समय अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। पुष्य नक्षत्र के देवता- गुरु, नक्षत्र स्वामी- शनि, आराध्य वृक्ष- पीपल, नक्षत्र प्राणी- बकरी तथा तत्व अग्नि हैं। इस नक्षत्र में पूजन-अर्चन और मंत्र जाप करने से जीवन के सभी कष्ट, संकट दूर होते हैं।
वेद मंत्र : ॐ बृहस्पते अतियदर्यौ अर्हाद दुमद्विभाति क्रतमज्जनेषु।
यददीदयच्छवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविण धेहि चित्रम।
जीवन की तमाम परेशानियों, संकट, रोग व दरिद्रता से बचने के लिए पीपल की पूजा और ऊपर बताए मंत्रों के उपाय करने से जीवन में सबकुछ शुभ ही शुभ घटित होता है।