Nautapa 2024: 25 मई 2025 शनिवार से नौतपा प्रारंभ हो गया है जो 2 जून तक चलेगा जबकि सूर्य रोहिणी नक्षत्र में 8 जून तक रहेंगे। ऐसा माना जाता है कि रोहिणी में सूर्य 15 दिनों तक रहता है तो उसके शुरुआती 9 दिनों को खूब तपना चाहिए। यदि यह तपता नहीं है तो भारी नुकसान उठाना पड़ता है। आखिर क्या नुकसान उठान पड़ सकता है।
नौतपा अगर न तपे तो क्या होता है?
दो मूसा, दो कातरा, दो तीड़ी, दो ताय।
दो की बादी जल हों, दो विश्वर दो वाव।
अर्थात: लोक संस्कृतिविद दीपसिंह भाटी के अनुसार....
1. नौतपा के पहले 2 दिन लू न चले तो चूहे बहुत हो जाएंगे।
2. अगले 2 दिन लू न चले तो कातरा (फसल को नुकसान पहुंचाने वाला कीट) नहीं मरेगा।
3. तीसरे दिन से 2 दिन लू न चली तो टिडियों के अंडे नष्ट नहीं होंगे।
3. चौथे दिन से 2 दिन नहीं तपा तो बुखार लाने वाले जीवाणु नहीं मरेंगे।
4. इसके बाद दो दिन लू न चली तो विश्वर यानी सांप-बिच्छू नियंत्रण से बाहर हो जाएंगे।
5. आखिरी दो दिन भी लू नहीं चली तो आंधियां अधिक चलेंगी और फसलें चौपट कर देंगी।
अन्य नुकसान : रोहिणी के दौरान सूर्य की गर्मी सीधे तौर पर यानी लंबवत धरती पर पड़ने से धरती का तापमान बढ़ जाता है। तापमान बढ़ने से धरती का जल खासकर समुद्र का जल वाष्पित होकर आसमान में बादल बनने की प्रक्रिया में रहता है। धरती जितनी तपेगी बादल उतने ज्यादा बनेंगे और तब यह कहा जा सकता है कि बारिश अच्छी होगी। यदि रोहिणी के दौरान ही बारिश होने लगे तो फिर बारिश में अच्छी बारिश की संभावना कम रहती है।