वैसे तो समिधा के रूप में आम की लकड़ी सर्वमान्य है, परंतु अन्य समिधाएं भी विभिन्न कार्यों हेतु प्रयुक्त होती हैं, और लाभ देती हैं।
शास्त्रों में सूर्य की समिधा मदार की, चन्द्रमा की पलाश की, मंगल की खैर की, बुध की चिरचिरा की, बृहस्पति की पीपल की, शुक्र की गूलर की, शनि की शमी की, राहु दूर्वा की और केतु की कुशा की समिधा कही गई है।
मदार (आक) की समिधा रोग को नाश करती है, पलाश की सब कार्य सिद्ध करने वाली, पीपल की प्रजा (संतति) कराने वाली, गूलर (औदुम्बर) की स्वर्ग देने वाली, शमी (खेजड़ी) की पाप नाश करने वाली, दूर्वा की दीर्घायु देने वाली और कुशा (डाभ) की समिधा सभी मनोरथ को सिद्ध करने वाली होती है।