नवग्रहों के गोचर में देवगुरु बृहस्पति का राशि परिवर्तन अर्थात् गोचर बहुत महत्व रखता है। गुरु एक राशि में 1 वर्ष पर्यन्त रहने के उपरांत अपनी राशि परिवर्तित करते हैं। गुरु धनु व मीन राशि के स्वामी हैं। कर्क राशि में गुरु उच्च के एवं मकर राशि में गुरु नीचराशिस्थ होते हैं।
स्त्री जातकों की जन्मपत्रिका में गुरु की स्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। गुरु स्त्री जातकों के लिए पति का नैसर्गिक कारक होते हैं।
स्त्री जातकों को पतिसुख प्राप्त होने में गुरु की विशेष भूमिका होती है। यदि किसी स्त्री जातक की कुंडली में गुरु अस्त, वक्री, निर्बल या अशुभ भावों में स्थित होते हैं तो उसे पतिसुख प्राप्त होने में बाधाएं आती हैं। गुरु बुद्धि व विवेक के भी प्रतिनिधि होते हैं। जन्मपत्रिका में सबल गुरु का होना विद्वत्ता व बुद्धिमत्ता का द्योतक होता है।
11 अक्टूबर को गुरु वृश्चिक राशि में प्रवेश-
11 अक्टूबर 2018 की रात्रि को गुरु ने वृश्चिक राशि में प्रवेश कर लिया है। विगत 1 वर्ष से गुरु तुला में राशि में स्थित हैं। गुरु का यह गोचर स्त्री जातकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहेगा। स्त्री जातकों के विवाह में त्रिबल शुद्धि हेतु गुरु बल में गुरु का राशि परिवर्तन विशेष महत्व रखेगा।
शास्त्रानुसार त्रिबल शुद्धि में गुरु के अपूज्य स्थिति में होने पर स्त्री जातक का विवाह वर्जित माना गया है। वहीं पूज्य स्थानों में होने पर गुरु की शांति के उपरांत ही स्त्री जातक का विवाह करने का निर्देश है। जिसे प्रचलित भाषा में पीली पूजा कहा जाता है। कुछ विद्वान अत्यंत आवश्यक होने पर देश-काल-परिस्थिति अनुसार अपूज्य स्थानों में होने पर भी पीली पूजा अर्थात् गुरु का शांति अनुष्ठान कर विवाह करने का परामर्श दे देते हैं।
किन राशि वाले जातकों के विवाह में बाधक बनेंगे गुरु-
जिन स्त्री जातकों की राशि से गुरु अपूज्य स्थान अर्थात् 4,8,12 में गोचर करेंगे उन स्त्री जातकों का विवाह 1 वर्ष के लिए वर्जित रहेगा। वहीं जिन स्त्री जातकों की राशि से गुरु "पूज्य" स्थान अर्थात् 1,3,6,10 में गोचर करेंगे उनका विवाह गुरु शांति अनुष्ठान (पीली पूजा) संपन्न करने के उपरांत हो सकेगा। शेष राशि वाले स्त्री जातकों के लिए गुरु शुभ रहेंगे। आइए अब जानते हैं कि 11 अक्टूबर को होने वाला गुरु का गोचर किन राशियों की स्त्री जातकों के विवाह में बाधा बनेगा।
1. अपूज्य- मेष, सिंह, धनु (विवाह वर्जित)
2. पूज्य- मिथुन, कन्या, वृश्चिक, कुंभ (गुरु की शांति के उपरांत विवाह)