कार्तिक मास की पूर्णिमा को देव दिवाली मनाते हैं। इस बार की देव दिवाली बहुत ही शुभ संयोग में मनाई जाएगी। इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का संहार किया और भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। इसी दिन श्रीकृष्ण को आत्मबोध हुआ था और देवी तुलसी का प्राकट्य भी हुआ था। इस दिन सभी देवता यमुना तट पर दीप जलाकर दिवाली मनाते हैं। आओ जानते हैं ज्योतिष की दृष्टि से यह क्यों हैं महत्वपूर्ण।
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व : देव उठनी एकादशी के दिन देवता जागृत होते हैं और कार्तिक पूर्णिमा के दिन वे यमुना तट पर स्नान कर दिवाली मानाते हैं। इसीलिए इसे देव दिवाली कहते हैं। इस पूर्णिमा को ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य आदि ने महापुनीत पर्व प्रमाणित किया है।
रोगापहं पातकनाशकृत्परं सद्बुद्धिदं पुत्रधनादिसाधकम्।
मुक्तेर्निदांन नहि कार्तिकव्रताद् विष्णुप्रियादन्यदिहास्ति भूतले।।-(स्कंदपुराण. वै. का. मा. 5/34)...
अर्थात- कार्तिक मास आरोग्य प्रदान करने वाला, रोगविनाशक, सद्बुद्धि प्रदान करने वाला तथा मां लक्ष्मी की साधना के लिए सर्वोत्तम है।