ऋणी होना व्यक्ति की सर्वाधिक प्रतिकूल परिस्थितियों में से एक है। ऋणग्रस्त व्यक्ति सदैव मानसिक अवसाद से घिरा रहता है। अथक परिश्रम करने के उपरान्त भी वह अपने ऋण से मुक्त नहीं हो पाता। आइए जानते हैं वे कौन से ग्रह योग होते हैं जो जातक को ऋणी बनाते हैं।
'ऋण योग' का विचार करने के लिए जन्मपत्रिका के तीन भावों का मुख्य रूप से विश्लेषण करना आवश्यक है- धन भाव, आय भाव एवं ऋण भाव। जन्मपत्रिका के द्वितीय भाव से धन,एकादश भाव से आय व षष्ठ भाव से ऋण का विचार किया जाता है। यदि किसी जन्मपत्रिका में निम्न ग्रह स्थितियां निर्मित होती हैं तो जातक को आर्थिक मामलों में अत्यन्त सावधानी रखने की आवश्यकता होती है क्योंकि ये ग्रह योग जातक को ऋणी बना सकते हैं।