माता कालिका के अनेक रूप हैं जिनमें से प्रमुख है- 1.दक्षिणा काली, 2.शमशान काली, 3.मातृ काली और 4.महाकाली। इसके अलावा श्यामा काली, गुह्य काली, अष्ट काली और भद्रकाली आदि अनेक रूप भी है। सभी रूपों की अलग अलग पूजा और उपासना पद्धतियां हैं। आओ जानते हैं महाकाली क्या है और क्या है उनका मंत्र।
1. महाकाली: महामाया, वैष्णवी, नारसिंही, वाराही, ब्राह्मी, माहेश्वरी, कौमारी, इत्यादि अष्ट-शक्तियां, भेदों से युक्त-धारा, गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा इत्यादि सब नदियां महाकाली का स्वरुप हैं।
2. महाकाली की उपासना अमोघ मानी गई है। जब सब विद्याएं असफल हो जाती है तो महाकाली की उपासना की जाती है।
3. भगवती की दस महाविद्याओं में से एक हैं महाकाली जिनके काले और डरावने रूप की उत्पत्ति राक्षसों का नाश करने के लिए हुई थी। यह एकमात्र ऐसी शक्ति है जिनसे स्वयं काल भी भय खाता है। उनका क्रोध इतना विकराल रूप ले लेता है कि संपूर्ण संसार की शक्तियां मिलकर भी उनके गुस्से पर काबू नहीं पा सकती। उनके इस क्रोध को रोकने के लिए स्वयं उनके पति भगवान शंकर उनके चरणों में आकर लेट गए थे।
4. मां प्रकृतिस्वरूपा हैं। बंगाल और असम में महाकाली की विशेष पूजा होती है। वास्तव में आदिशक्ति मां दुर्गा के विविध रूपों का वर्णन मार्कंडेय पुराण में वर्णित है। महासरस्वती, महाकाली और महालक्ष्मी रूपों में मां दुर्गा का विस्तार है।
5. महाकाली को दुर्गा का अवतार कहा गया है और धरती पर इनके अवतरित होने से जुड़ी कई मान्यताएं प्रचलित हैं।
6. महाकाली का साबर मंत्र :
ॐ नमो काली कंकाली महाकाली मुख सुन्दर जिह्वा वाली,
चार वीर भैरों चौरासी, चार बत्ती पूजूं पान ए मिठाई,