Manglik kundali : ऐसा माना जाता है कि जिस लड़की को मंगल हो उसका विवाह भी मंगल के लड़के से ही करना चाहिए अन्यथा वैवाहिक जीवन में बाधा उत्पन्न होती है। हालांकि यदि विवाह करना ही हो तो क्या कर सकते हैं। क्या मांगलिक लड़की या लड़के का विवाह गैर मांगलिक से हो सकता है।? आओ जानते हैं समस्या का समाधान।
मंगल दोष : जिस भी जातक की कुंडली में मंगल प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में है तो उस कुंडली को मांगलिक कुंडली माना जाता है। मंगल तीन प्रकार का माना गया है- सौम्य मंगल, मध्यम मंगल और कड़क मंगल। कहते हैं कि सौम्य मंगल का कोई दोष नहीं, मध्यम मंगल 28 वर्ष की उम्र के बाद उसका दोष समाप्त हो जाता है। कड़क मंगल के दोष की शांति कराना चाहिए और इन्हीं लोगों को विवाह के संबंध में कुंडली मिलान करने की आवश्यकता बताई जाती है।
1. ज्योतिष मान्यता के अनुसार यदि कोई लड़का मांगलिक है और इसकी शादी गैर मांगलिक लड़की से करनी है तो यह हो सकता है लेकिन उसके लिए लड़की की कुंडली में राहु, केतु और शनि दूसरे, सातवें, आठवें और बारहवें भाव में बैठे हों।
2. यदि लड़का या लड़की में से किसी एक को मध्यम मांगलिक है और दोनों की उम्र 28 वर्ष से ऊपर है तो विवाह कर सकते हैं क्योंकि 28 वर्ष के बाद मांगलिक दोष समाप्त हो जाता है। ऐसे में किसी पंडित की सलाह से विवाह पूर्व मांगलिक दोष की शांति करा लें।
3. यदि किसी जातक की कुंडली में मंगल दोष है और कुंडली में उसी भाव में सामने शनि, बृहस्पति, राहु या केतु बैठे हों तो तो मांगलिक दोष अपने आप समाप्त हो जाता है और गैर मांगलिक से शादी करने की बात कही जाती है।
4. शास्त्रों के अनुसार जहां कोई कुंडली मांगलिक बनती है वहीं उसी श्लोक के परिहार के कई प्रमाण भी हैं कि पूर्वती कारिका से पर्वती कारिका बलवान होती है। दोष के संबंध में पर्वती कारिका ही परिहार या निवारण है। इसलिए मांगलिक दोष का निवारण मिलता है तो विवाह किया जा सकता है।
5. यदि मांगलिक कुंडली में मंगल के साथ या मंगल पर शुभ ग्रहों की दृष्टि है या शुभ ग्रह केंद्र में हैं तो मांगलिक दोष नहीं लगता है।
6. इसी के साथ ही यदि लड़का या लड़की की कुंडली में जिस स्थान पर मंगल बैठा है उसी स्थान पर किसी एक की कुंडली में शनि, राहु या केतु हो तो मंगल का दोष समाप्त हो जाता है।