पूर्वोतर राज्यों मे अंधड़ की संभावना अधिक रहेगी। कहीं कहीं नुकसान भी संभव है। रोहिणी नक्षत्र में यदि वर्षा हो जाती है तो उसे रोहिणी का गलना कहते हैं। जब रोहिणी गलती है तो उस वर्ष वर्षा कम होती है। इसका कारण यह है कि सूर्य बराबर अपनी तपीश नहीं दे पाता है जिससे पानी वाष्प होकर बादलों के रूप में ठीक ढंग से नहीं बन पाता। इसी कारण वर्षा की संभावना कम रहती है। इस बार ग्रहों की चाल से पता चलता है कि सूर्य खूब तपेगा व वर्षा भी अधिक होगी।