Neend aane ke Astro vastu tips: नींद नहीं आने के कई कारण होते हैं। भविष्य की चिंता करना, ज्यादा सोचना, किसी प्रकार का रोग और यदि आपको रोज रात को नींद नहीं आती है या आती भी है तो देर रात को या सुबह-सुबह आती है तो वास्तु और ज्योतिष के अनुसार आप अपनी नींद में सुधार कर सकते हैं। आओ जानते हैं वास्तु और ज्योतिष के टिप्स।
वास्तु टिप्स :-
1. किस दिशा में करें पैर : भारतीय ज्योतिष, वास्तु और हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार, दक्षिण या पूर्व दिशा में पैर करने नहीं सोना चाहिए। इस दिशा में पैर करके सोने से शारीरिक और मानसिक क्षरण होने की बात कई जाती है। उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव के प्रभाव को जानकर ही उचित दिशा में पैर करके सोएं। पश्चिम दिशा में सिर रखकर नहीं सोते हैं क्योंकि तब हमारे पैर पूर्व दिशा की ओर होंगे जो कि शास्त्रों के अनुसार अनुचित और अशुभ माने जाते हैं। पूर्व में सूर्य की ऊर्जा का प्रवाह भी होता है अत: यह ऊर्जा के प्रवाह नियम के विरुद्ध भी है। लगातार दक्षिण या पूर्व दिशा में पैर रखकर सोने से व्यक्ति के जीवन में निराशा, भय, आशंका, आलस्य, बुरे स्वपन जैसे नकारात्मक विचार का संचार होता है। दक्षिण में मस्तक रखकर सोने से धनलाभ और आरोग्य लाभ होता है और पूर्व दिशा में मस्तक रखकर सोने से विद्या की प्राप्ति होती है।
2. किस दिशा में सोना शुभ है : मुख्य शयन कक्ष, जिसे मास्टर बेडरूम भी कहा जाता हें, घर के दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य) या उत्तर-पश्चिम (वायव्य) की ओर होना चाहिए। अगर घर में एक मकान की ऊपरी मंजिल है तो मास्टर बेडरूम ऊपरी मंजिल के दक्षिण-पश्चिम कोने में होना चाहिए। यदि शयन कक्ष अग्निकोण में हो तो पूर्व-मध्य दीवार पर शांत समुद्र का चित्र लगाना चाहिए।
3. बिस्तर : डबलबेड के गद्दे दो हिस्सों में न हो। यानी गद्दा एक ही होना चाहिए, वह बीच में विभाजित नहीं होना चाहिए। खराब बिस्तर, तकिया, परदे, चादर, रजाई आदि नहीं रखें। बिस्तर, तकिए और गद्दे न तो एकदम सख्त होना चाहिए और न एकदम मुलायम। चादर का रंग गुलाबी, हल्का पीला, नारंगी या क्रीम होना चाहिए। आप चाहे तो पिंकिश कलर की चादर भी ले सकते हैं। जिस पलंग पर बिस्तर बिछाकर सो रहे हैं वह चौकोर या आयातकार होना चाहिए। टूटा नहीं होना चाहिए।
3. सकारात्मक सोच : सोने से पूर्व आप बिस्तर पर वे बातें सोचें, जो आप जीवन में चाहते हैं। जरा भी नकारात्मक बातों का खयाल न करें, क्योंकि सोने के पूर्व के 10 मिनट तक का समय बहुत संवेदनशील होता है जबकि आपका अवचेतन मन जाग्रत होने लगता है और उठने के बाद का कम से कम 15 मिनट का समय भी बहुत ही संवेदनशील होता है। इस दौरान आप जो भी सोचते हैं वह वास्तविक रूप में घटित होने लगता है। सोने से पहले अपने ईष्ट देव का एकबार ध्यान जरूर करें और फिर प्रार्थना कर के सो जाएं।