चल रहा है पंचक काल, जानिए क्या-क्या न करें...

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कहा जाता है कि पंचक चन्द्रमा की स्थिति पर आधारित गणना है। जब चन्द्रमा कुंभ और  मीन राशि पर रहता है, उस समय को 'पंचक' कहते हैं। भारतीय ज्योतिष में पंचक को शुभ  नक्षत्र नहीं माना जाता है। इसे अशुभ और हानिकारक नक्षत्रों का योग माना जाता है। इस  बार 4 सितंबर की रात्रि 12 बजकर 13 मिनट से शुरू हुआ पंचक 9 सितंबर 2017,  शनिवार तक जारी रहेगा। इस बार पंचक सोमवार से शुरू हुआ है, अत: इसे 'राज पंचक'  कहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि पंचक के दिनों में कुछ कामों को करने की मनाही होती है  जिसे हमें भूलकर भी नहीं करना चाहिए। 
 
पंचक के अंतर्गत धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र आते हैं। इन्हीं नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को 'पंचक' कहा जाता है। माना जाता है कि  इन दिनों में कुछ कार्य विशेष नहीं किए जाते हैं, जैसे यात्रा, व्यापार, लेन-देन, नया कार्य आदि...। 
 
ये कार्य न करें पचंक के दौरान :- 
 
*  पंचक में पलंग बनवाना बड़े संकट को न्योता देना है। 
 
* इस दौरान दक्षिण दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए। 
 
* जब रेवती नक्षत्र चल  रहा हो, उस समय घर की छत नहीं बनवाना चाहिए। 
 
*  जिस समय धनिष्ठा नक्षत्र हो उस समय घास, लकड़ी आदि ईंधन एकत्रित नहीं करना चाहिए। 
 
पंचक में मृत्यु, क्या कहते है शास्त्र :- 
 
जो सबसे ज्यादा प्रचलित मान्यता है वो यह है कि पंचक में किसी की मृत्यु होने से और पंचक में शव का अंतिम संस्कार करने से उस कुटुंब या निकटजनों में 5 मृत्यु और हो  जाती है। इस स्थिति से बचने के लिए शव के साथ 5 पुतले आटे या कुश (एक प्रकार की घास) से बनाकर अर्थी पर रखे जाते हैं और इन पांचों का भी शव की तरह पूर्ण  विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया जाए तो पंचक दोष समाप्त हो जाता है।
 
ज्योतिष शास्त्र में इस घड़ी को सबसे अशुभ मुहूर्तों में गिना जाता है इसलिए इन 5 दिनों की अवधि में किया गया कोई भी कार्य अशुभ कार्य के समान माना जाता है, अत: इन  दिनों में कोई भी कार्य करने से पहले नक्षत्रों पर ध्यान देना उचित रहेगा। 

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