2 अक्टूबर 2017 की सुबह 7 बजकर 14 मिनट से पंचक की शुरुआत गई है, जो कि 6 अक्टूबर तक जारी रहेगा। सोमवार के दिन पंचक लगने के कारण इसे 'राज पंचक' कहा जाता है। माना जाता है कि पंचक चन्द्रमा की स्थिति पर आधारित गणना है। जब चन्द्रमा कुंभ और मीन राशि पर रहता है, उस समय को 'पंचक' कहते हैं।
पंचक के अंतर्गत धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र आते हैं। इन्हीं नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को 'पंचक' कहा जाता है। भारतीय ज्योतिष शास्त्र में पंचक को शुभ नक्षत्र नहीं माना जाता है। इसे अशुभ और हानिकारक नक्षत्रों का योग माना जाता है। इस बार 2 अक्टूबर की सुबह 7 बजकर 14 मिनट से शुरू हुआ पंचक 6 अक्टूबर, शुक्रवार रात्रि 8 बजकर 58 मिनट तक जारी रहेगा।
कहा जाता है कि पंचक के दिनों में कुछ कामों को करने की मनाही होती है जिसे हमें भूलकर भी नहीं करना चाहिए। इन दिनों में कुछ कार्य विशेष नहीं किए जाते हैं, जैसे यात्रा, व्यापार, लेन-देन, नया कार्य आदि...। आइए जानें इन दिनों में कौन से काम करना अशुभ होता है।
पचंक के दौरान न करें ये कार्य -
* जिस समय धनिष्ठा नक्षत्र हो उस समय घास, लकड़ी आदि ईंधन एकत्रित नहीं करना चाहिए। पंचक के प्रभाव से इस नक्षत्र में अग्नि का भय रहता है।
* जब रेवती नक्षत्र चल रहा हो, उस समय घर की छत नहीं बनवाना चाहिए। इस नक्षत्र में धनहानि की आशंका होती है।
* शतभिषा नक्षत्र में कलह होने के योग बनते हैं।
* पूर्वाभाद्रपद रोगकारक नक्षत्र होता है।
* उत्तराभाद्रपद में धन के रूप में दंड होता है।
* पंचक में पलंग बनवाना बड़े संकट को न्योता देना है।
* इस दौरान दक्षिण दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए।