ज्योतिष शास्त्र में योग का बहुत महत्व होता है। योग से आशय है जोड़। जब 2 या 2 से अधिक ग्रह एकसाथ किसी भाव में स्थित होते हैं तो इसे ज्योतिष शास्त्र में युति कहा जाता है। जब यह युति किन्हीं विशेष ग्रहों की होती है तो इसे 'योग' कहते हैं। ज्योतिष शास्त्रानुसार एकाधिक ग्रहों की युति से विभिन्न योगों का निर्माण होता है जिन्हें चतुर्ग्रही, पंचग्रही, षष्ठग्रही व सप्तग्रही योग कहते हैं।
गोचर शास्त्र में प्रत्येक ग्रह की भ्रमण काल विलग-विलग होने से इस प्रकार के योगों का सृजन दीर्घकालावधि पश्चात ही संभव हो पाता है। यदि ये योग शुभ स्थिति में बनें, तो इन योगों में जन्म लेने वाला जातक निश्चित ही असाधारण होता है। दिनांक 9 से लेकर 11 फरवरी तक माघ कृष्ण पक्ष में ऐसे ही अतिदुर्लभ 'षष्ठग्रही योग' का निर्माण हो रहा है। इस षष्ठग्रही योग के कारण इसी दिन अन्य शुभाशुभ योगों का सृजन भी हो रहा है।
आइए, जानते हैं कि 9 फरवरी भौम प्रदोष वाले दिन किन-किन शुभाशुभ योगों का निर्माण हुआ?
भौम प्रदोष के दिन चंद्र का गोचर
9 फरवरी 2021 माघ कृष्ण त्रयोदशी को मंगलवार का दिन होने से इस दिन 'भौमप्रदोष' था, जो व्रत एवं शिव आराधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इसी दिन रात्रि 8.30 बजे चंद्र ने गोचर अनुसार मकर राशि में प्रवेश किया। विदित हो कि मकर राशि में पूर्व से ही गोचर अनुसार सूर्य, बुध, शुक्र, शनि, गुरु स्थित है अर्थात मकर राशि में पंचग्रही योग पहले ही बना हुआ है। चंद्र के गोचरवश मकर राशि में आने अब मकर राशि में 'षष्ठग्रही योग' का निर्माण होने के साथ ही अन्य शुभाशुभ योगों का निर्माण भी बना।
1. बुधादित्य योग : वर्तमान में मकर राशि में बुध व सूर्य की युतिरूप में स्थित हैं। इसके फलस्वरूप यहां बुधादित्य योग का सृजन हो रहा है। इस योग में जन्म लेने वाला जातक ओजस्वी व प्रखर वक्ता होता है। उसे राजसी व्यक्तित्व की प्राप्ति होती है। वह एक सफल राजनीतिज्ञ होता है।
2. सूर्य-शुक्र युति : मकर राशि में सूर्य व शुक्र की युति का निर्माण भी हो रहा है। इसके फलस्वरूप शुक्र अस्त स्वरूप में होगा। इस योग में जन्म लेने वाले को शैया सुख व दांपत्य सुख की प्राप्ति में अवरोध आएगा।
3. गजकेसरी योग : चंद्र के गोचरवश मकर राशि में प्रवेश के साथ ही यहां 'गजकेसरी' नामक राजयोग का निर्माण होगा। इस योग में जन्म लेने वाला जातक प्रतिभाशाली, भाग्यवान, बुद्धिमान व लब्ध-प्रतिष्ठित होगा।
4. केसरी योग : मकर राशि में चंद्रमा के गोचर से 'केसरी योग' का निर्माण भी बना। इस योग में जन्म लेने वाला जातक अतीव धन-संपत्ति का स्वामी होकर धनाढ्य होगा।
5. नीचभंग राजयोग : मकर राशि में गुरु नीचराशिस्थ होते हैं, वहीं कर्क राशि में उच्च राशि, नीच राशिगत गुरु की उच्च राशि का स्वामी चंद्रमा केंद्र में होने से यहां ज्योतिष का सुप्रसिद्ध व अत्यंत शुभ 'नीचभंग राजयोग' का निर्माण हो रहा है। इस योग में जन्म लेने वाला जातक अत्यंत विद्वान होगा और उसकी समाज व देश में ख्याति होगी। ऐसा जातक उच्च कोटि का धर्मोपदेशक बनकर समाज का आध्यात्मिक मार्गदर्शन करने में सक्षम होगा।
6. विषयोग : शनि व चंद्र की युति के परिणामस्वरूप मकर राशि में 'विषयोग' का निर्माण होगा, जो इस योग में जन्म लेने वाले जातक के लिए प्रतिकूलतादायक होगा।
4 फरवरी 1962 को बना था अष्टग्रही योग
पूर्व में वर्ष 1962 में भी इसी प्रकार का अतिदुर्लभ सप्तग्रही व अष्टग्रही योग मकर राशि में निर्मित हुआ था। 4 फरवरी 1962 को मकर राशि में सूर्य, बुध, शुक्र, मंगल, गुरु, शनि, चंद्र, केतु के स्थित होने के कारण 'अष्टग्रही योग' का निर्माण हुआ था। उस समय यह योग अतीव अशुभता वाला था, क्योंकि 1962 में सप्तग्रहों के साथ मारणात्मक प्रभाव वाले ग्रह केतु की युति व अत्यंत क्रूर व अलगाववादी ग्रह राहु की पूर्ण दृष्टि थी जिसके फलस्वरूप हमें चीन के साथ युद्ध झेलना पड़ा जिसमें भारत की पराजय हुई।
बढ़ेंगी भारत की चुनौतियां
वर्तमान में बनने वाला यह षष्ठग्रही योग किसी भी दृष्टि से 1962 वाले योग के सदृश्य तो नहीं है किंतु वर्तमान में बन रहे योग पर राहु की पूर्ण दृष्टि के कारण भारत में अंतरविरोध व सरकार के प्रति विद्रोह की आशंकाएं प्रबल होंगी। वर्तमान में चल रहे किसान आंदोलन से अन्य देशों में भारत की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है। इस योग के कारण देश में महंगाई बढ़ेगी। सीमा पर घुसपैठ, उपद्रव, हिंसात्मक घटनाओं से निपटना सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण रहेगा।