कुंडली में कौन सा योग करवाता है हत्या? समझिए ज्योतिष के अनुसार हत्या के कारण

WD Feature Desk

बुधवार, 11 जून 2025 (13:08 IST)
Prediction Techniques : राजा रघुवंशी हत्याकांड में उनकी पत्नी सोनम रघुवंशी का नाम आने से पूरा देश स्तब्ध है। इस साजिश के पर्दाफाश होने के बाद से दोनों की कुंडली में मंगल का योग भी चर्चा में है। इसके साथ ही ये भी जिज्ञासा लोगों के मन में है कि क्या जन्मकुंडली में ऐसे योग होते हैं जो व्यक्ति को हिंसा या हत्या की ओर ले जा सकते हैं? ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों और भावों के संयोजन को देखकर व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं का आकलन किया जाता है। आइए जानते हैं कि कौन से ज्योतिषीय योग कुंडली में हत्या या हिंसक घटनाओं की संभावना दर्शाते हैं।

हिंसा के कारक ग्रह: मंगल, शनि और राहु-केतु
ज्योतिष में हर ग्रह एक विशेष ऊर्जा और गुण का प्रतिनिधित्व करता है। हिंसा और उससे जुड़े पहलुओं को समझने के लिए कुछ खास ग्रहों पर ध्यान देना ज़रूरी है:
मंगल (Mars): मंगल को ज्योतिष में हिंसा, क्रोध, आक्रामकता, ऊर्जा और साहस का प्रतिनिधि माना जाता है। यह व्यक्ति के पराक्रम और लड़ने की प्रवृत्ति को दर्शाता है। जब मंगल अशुभ स्थिति में होता है या अन्य क्रूर ग्रहों से संबंध बनाता है, तो यह हिंसक प्रवृत्ति को बढ़ा सकता है।
शनि (Saturn): शनि को नीच, घृणित कार्यों, दुख, बाधा और कठोरता का प्रतीक माना जाता है। यह कर्मों का हिसाब-किताब रखता है और गलत कार्यों के लिए दंड भी देता है। शनि का नकारात्मक प्रभाव व्यक्ति को ऐसे कार्यों में धकेल सकता है जो समाज के लिए हानिकारक हों।
राहु-केतु (Rahu-Ketu): राहु और केतु को आवेश, अप्रत्याशितता, भ्रम, रहस्य और आकस्मिक घटनाओं का उत्प्रेरक माना जाता है। ये छाया ग्रह होते हैं और जिस ग्रह के साथ बैठते हैं या जिस भाव पर दृष्टि डालते हैं, उसके प्रभाव को कई गुना बढ़ा देते हैं। राहु-केतु का अशुभ प्रभाव व्यक्ति को अनियंत्रित और विवेकहीन बना सकता है, जिससे आकस्मिक और हिंसक घटनाएँ घट सकती हैं।
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हत्या के ज्योतिषीय योग: भाव और ग्रहों का संबंध
जब उपरोक्त हिंसक ग्रह कुछ विशेष भावों और उनके स्वामियों के साथ दृढ़ संबंध बनाते हैं, तो व्यक्ति के जीवन में अस्वाभाविक रूप से हिंसा द्वारा प्राणांत यानी हत्या की स्थिति निर्मित हो सकती है। इसमें मुख्य रूप से लग्न और अष्टम भाव महत्वपूर्ण होते हैं:
• लग्न (First House): लग्न व्यक्ति के शरीर, व्यक्तित्व, स्वभाव और संपूर्ण जीवन को दर्शाता है। यदि लग्न या लग्नेश (लग्न का स्वामी) क्रूर ग्रहों जैसे मंगल, शनि, राहु या केतु से पीड़ित हो, तो व्यक्ति में हिंसक प्रवृत्ति बढ़ सकती है या वह स्वयं हिंसक घटनाओं का शिकार हो सकता है।
• अष्टम भाव (Eighth House): अष्टम भाव मृत्यु, आयु, आकस्मिक घटनाओं, दुर्घटनाओं और रहस्यमय बातों का कारक होता है। यदि अष्टम भाव या अष्टमेश (अष्टम का स्वामी) मंगल, शनि, राहु या केतु से पीड़ित हो, तो व्यक्ति की मृत्यु अस्वाभाविक या हिंसक तरीके से होने की संभावना बन सकती है।

हत्या के विशिष्ट योग तब बनते हैं जब:
1. मंगल, शनि और राहु-केतु की दृष्टि: यदि इन ग्रहों की क्रूर दृष्टि लग्न या अष्टम भाव पर हो, या उनके स्वामियों पर हो।
2. मंगल, शनि और राहु-केतु की युति: यदि ये ग्रह लग्न या अष्टम भाव में एक साथ बैठे हों, या उनके स्वामियों के साथ युति कर रहे हों।
3. अन्य दृढ़ संबंध: यदि किसी अन्य प्रकार से ये ग्रह लग्न या अष्टम भाव से मजबूती से जुड़े हों, जैसे नक्षत्र संबंध या परिवर्तन योग।

उदाहरण के लिए:
• यदि मंगल, शनि या राहु अष्टम भाव में बलवान होकर बैठे हों और उन पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि न हो।
• यदि लग्नेश और अष्टमेश क्रूर ग्रहों के प्रभाव में हों और उनकी स्थिति कमज़ोर हो।
• राहु और मंगल का एक साथ होना (अंगारक योग) यदि लग्न या अष्टम भाव से संबंधित हो, तो यह व्यक्ति को अत्यधिक क्रोधी और हिंसक बना सकता है, जिससे ऐसे योग बन सकते हैं।

महात्मा गांधी की हत्या
महात्मा गांधी जिनकी हत्या 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर की गई थी, की जन्मकुंडली (क्रमांक 1) में मंगल द्वितीयेश एवं सप्तमेश अर्थात् मारक होकर लग्न में शुक्र (लग्नेश एवं अष्टमेश) के साथ है और उसकी अष्टम दृष्टि अष्टम भाव एवं अष्टमेश गुरु पर है। मंगल गुरु के नक्षत्र विशाखा में है। केतु की पंचम दृष्टि एवं शनि की सप्तम दृष्टि भी अष्टम भाव पर है जहां षष्ठेश गुरु भी वक्री होकर विराजमान हैं। चतुर्थ भाव में केतु स्थित है और उस पर शनि की तृतीय एवं मंगल की चतुर्थ दृष्टि है। लग्न के दोनों ओर क्रूर ग्रह (शनि व सूर्य) होने से लग्न पापकर्तरी योग में है। 

मंगल की राशि वृश्चिक (द्वितीय भाव) पर राहु की पंचम दृष्टि है जहां पर शनि भी विराजमान हैं और वक्री गुरु की उन पर दृष्टि है। चंद्र लग्न (सिंह) भी क्रूर ग्रह राहु व सूर्य के मध्य होने से पापकर्तरी योग में है और उस पर शनि की दशम दृष्टि भी है। चंद्र लग्न से अष्टम भाव के अधिपति गुरु पर शनि, मंगल व केतु की दृष्टि है तथा गुरु वक्री होकर चंद्र लग्नेश सूर्य की भी पंचम दृष्टि से देख रहा है। चंद्र लग्न से षष्टम भाव में केतु है जो मंगल व शनि से दृष्टिगत है। इस प्रकार जन्म लग्न एवं चंद्र लग्न दोनों से लग्न एवं अष्टम भाव तो दूषित है ही साथ ही साथ द्वितीय, चतुर्थ एवं षष्टम भाव भी अशुभ प्रभाव में है। फलस्वरूप जातक का प्राणांत हत्या से हुआ।

इंदिरा गांधी की हत्या
भारत की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की जन्मकुंडली (क्रमांक 2) में लग्न में शनि सप्तमेश एवं अष्टमेश होकर स्थित है और उसके दोनों ओर क्रूर ग्रह मंगल व केतु होने से पापकर्तरी योग में लग्न है। यहां शनि चंद्र लग्नेश भी है। शनि लग्नेश चंद्र को भी देख रहा है। अश्टम भाव पर मंगल की सप्तम एवं केतु की नवम दृष्टि है। मंगल पर राहु की नवम दृष्टि है। मंगल द्वितीय भाव में है और द्वितीयेश सूर्य के साथ स्थान विनिमय संबंध स्थापित कर रहा है। चतुर्थेश शुक्र षष्टम भाव में राहु के साथ है।

शुक्र व गुरु का विनिमय स्थान संबंध भी है। चंद्र लग्न से अष्टम भावेश सूर्य षष्टमेश बुध के साथ मंगल की राशि वृश्चिक में है और अष्टम भाव में मंगल राहु के दृष्टिगत है तथा षष्टम भाव में केतु स्थित है। इस प्रकार यहां जन्म लग्न एवं चंद्र लग्न दोनों से लग्न एवं अष्टम भाव तो अशुभ प्रभाव में है ही वहीं द्वितीय, चतुर्थ एवं षष्टम भाव भी दूषित है। फलस्वरूप जातिका का प्राणांत हत्या से हुआ। घटना (दिनांक 31.10.1984) के समय शनि में राहु में शनि का अंतर चल रहा था, गोचर का शनि तुला राशि में स्थित होकर दशम दृष्टि से लग्न तथा जन्मगत शनि (अष्टमेश एवं चंद्र लग्नेश) को देख रहा है, मंगल भी धनु राशि में स्थित होकर लग्न एवं शनि को अष्टम दृष्टि से देख रहे थे तथा जन्मजात चतुर्थेश शुक्र व राहु से युति कर रहे थे, गुरु धनु राशि में मंगल के साथ स्थित होकर सिंह राशि (चंद्र लग्न से अष्टम भाव) को देख रहे थे।
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