भारतीय संस्कृति मे दान का महत्व सर्वाधिक बताया गया है, दान का अर्थ सिर्फ किसी चीज को लेना नहीं है। दान को स्वीकार करना प्रतिग्रहण है। पुरुषोत्तम मास के देवता श्रीहरि विष्णु हैं। अत: जिन कार्यों के कोई देवता नहीं है तो उनका दान भगवान श्रीविष्णु को देवता मानकर देने का बहुत महत्व माना गया है।
हमारे धर्मों में जप, तप, दान और यज्ञ का बड़ा महत्व माना गया है। ग्रहों का दान, गौ दान, कन्या दान, सोना-चांदी, खाने-पीने की वस्तुएं तथा दवा-औषधि आदि का दान बहुत ही लाभदायी और महापुण्यकारी माना गया है। दान के संबंध में खास तौर पर सोना-चांदी, गौ दान तथा कन्या दान को हमारे शास्त्रों ने दान की श्रेष्ठ श्रेणी में रखा है। आइए जानें कैसे दें दान और कौन हैं उनके देवता-
* सोने के देवता अग्नि है, दास के प्रजापति है।
* गाय के देवता रूद्र हैं।
* दान लेने वाले को 'दक्षिणा' अवश्य देनी चाहिए।
* पुराने जमाने में दक्षिणा सोने के रूप में दी जाती थी, लेकिन अगर सोने का दान किया जा रहा हो तो उसकी दक्षिणा चांदी के रूप में दी जाती है।
* दान लेने की स्वीकृति मन से, वचन से या शरीर से दी जा सकती है।
* दान का अर्थ है, अपनी किसी वस्तु का स्वामी किसी दूसरे को बना देना।