Sankashti Chaturthi 2020 Muhurat : कैसे करें संकष्टी चतुर्थी व्रत, पढ़ें महत्व, मुहूर्त, मंत्र और पूजा विधि
Shravan Chaturthi Muhurat
श्रावण मास की पहली संकष्टी चतुर्थी बुधवार, 8 जुलाई 2020 के दिन है और बुधवार का दिन श्रीगणेश का दिन माना जाता है। अत: इस दिन की जाने वाली पूजा विशेष फल देने वाली मानी गई है।
श्रावण मास शिवजी का प्रिय महीना है और श्रीगणेश उनके पुत्र हैं अत: इस दिन श्रीगणेश का परिवारसहित पूजन करना अतिफलदायी रहेगा। चतुर्थी तिथि के स्वामी श्रीगणेश जी ही हैं और इस दिन किए गए व्रत-उपवास और पूजा-पाठ से यश, वैभव, सुख-समृद्धि, धन, कीर्ति, ज्ञान और बुद्धि में अतुलनीय वृद्धि होती है क्योंकि श्रीगणेश शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं। आइए जानें श्रावण मास की संकष्टी चतुर्थी के दिन कैसे करें पूजन-
आइए जानें इस दिन क्या करना चाहिए :-
* श्री गणेश चतुर्थी पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं।
* ॐ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें।
* इसके बाद घर के मंदिर में श्रीगणेश प्रतिमा को गंगा जल और शहद से स्वच्छ करें।
* सिंदूर, दूर्वा, फूल, चावल, फल, जनेऊ, प्रसाद आदि चीजें एकत्रित करें।
* धूप-दीप जलाएं। ॐ गं गणपतयै नम: मंत्र का जाप करते हुए पूजा करें। मंत्र जाप 108 बार करें।
* श्रीगणेश के सामने व्रत करने का संकल्प लें और पूरे दिन अन्न ग्रहण न करें। व्रत में फलाहार, पानी, दूध, फलों का रस आदि चीजों का सेवन किया जा सकता है।
* शिवजी के मंत्र ॐ सांब सदाशिवाय नम: का जाप 108 बार करें। शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं। बिल्व पत्र और फूल चढ़ाएं। दीपक जलाकर आरती करें।
* पूजा के बाद घर के आसपास जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करें। गाय को रोटी या हरी घास दें। किसी गौशाला में धन का दान भी कर सकते हैं।
गणेश चतुर्थी की पूजन विधि :-
* गणपति की स्थापना के बाद इस तरह पूजन करें-
* सबसे पहले घी का दीपक जलाएं। इसके बाद पूजा का संकल्प लें।
* फिर गणेश जी का ध्यान करने के बाद उनका आह्वान करें।
* इसके बाद गणेश को स्नान कराएं। सबसे पहले जल से, फिर पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण) और पुन: शुद्ध जल से स्नान कराएं।
* गणेश के मंत्र व चालीसा और स्तोत्र आदि का वाचन करें।
* अब गणेश जी को वस्त्र चढ़ाएं। अगर वस्त्र नहीं हैं तो आप उन्हें एक नाड़ा भी अर्पित कर सकते हैं।
* इसके बाद गणपति की प्रतिमा पर सिंदूर, चंदन, फूल और फूलों की माला अर्पित करें।
* अब बप्पा को मनमोहक सुगंध वाली धूप दिखाएं।
* अब एक दूसरा दीपक जलाकर गणपति की प्रतिमा को दिखाकर हाथ धो लें। हाथ पोंछने के लिए नए कपड़े का इस्तेमाल करें।
* अब नैवेद्य चढ़ाएं। नैवेद्य में मोदक, मिठाई, गुड़ और फल शामिल करें।
* इसके बाद गणपति को नारियल और दक्षिण प्रदान करें।
* श्रावण मास चतुर्थी की कथा श्रवण करें अथवा पढ़ें।
* अब अपने परिवार के साथ गणपति की आरती करें। गणेश जी की आरती कपूर के साथ घी में डूबी हुई एक या तीन या इससे अधिक बत्तियां बनाकर की जाती है।
* इसके बाद हाथों में फूल लेकर गणपति के चरणों में पुष्पांजलि अर्पित करें।
* अब गणपति की परिक्रमा करें। ध्यान रहे कि गणपति की परिक्रमा एक बार ही की जाती है।
* इसके बाद गणपति से किसी भी तरह की भूल-चूक के लिए माफी मांगें।
* पूजा के अंत में साष्टांग प्रणाम करें।
* रात को चंद्रमा की पूजा और दर्शन करने के बाद व्रत खोलना चाहिए। {इस चतुर्थी पर चंद्रोदय रात्रि 10.00 बजे होगा।}
भविष्य पुराण के अनुसार संकष्टी चतुर्थी की पूजा और व्रत करने से हर तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं। गणेश पुराण के अनुसार इस व्रत के प्रभाव से सौभाग्य, समृद्धि और संतान सुख मिलता है। शाम को चंद्रमा निकलने से पहले गणपति जी की एक बार और पूजा करें और संकष्टी व्रत कथा का फिर से पाठ करें। अब व्रत का पारण करें।
संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रोदय का समय और पूजन का मुहूर्त :-
चतुर्थी तिथि का प्रारंभ बुधवार, 8 जुलाई को प्रात: 09 बजकर 18 मिनट से होगा तथा गुरुवार, 9 जुलाई को प्रात: 10 बजकर 11 मिनट पर चतुर्थी तिथि का समापन होगा।
संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रोदय रात्रि 10 बजे तक होगा।