शिवलिंग की पूजा करते समय लड़कियों और महिलाओं को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

WD Feature Desk

मंगलवार, 15 जुलाई 2025 (16:42 IST)
mahilayen shivling ki puja kaise karen: शिवलिंग की पूजा भारतीय संस्कृति और आस्था का एक अत्यंत पवित्र और रहस्यमयी रूप है। सावन के महीने में, विशेष रूप से सोमवार को जब शिवभक्ति का वातावरण हर ओर व्याप्त होता है, तब शिवलिंग पर जलाभिषेक, बेलपत्र, दूध व फूल अर्पित कर भोलेनाथ को प्रसन्न करने की परंपरा लाखों श्रद्धालुओं का एक नियमित हिस्सा बन जाती है। ऐसे समय में कई लड़कियों और महिलाओं के मन में यह सवाल आता है कि क्या उन्हें शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए? और अगर करें तो किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? आज का यह लेख उन्हीं सवालों के स्पष्ट, भावनात्मक और व्यावहारिक जवाब देता है, ताकि आप श्रद्धा के साथ पूजा कर सकें, बिना किसी भ्रम या डर के।
 
शिवलिंग पूजा और स्त्रियों की भूमिका
यह कहना गलत नहीं होगा कि शिव एक ऐसे देवता हैं जो स्त्री और पुरुष दोनों को एक समान मानते हैं। पार्वती जी उनकी अर्धांगिनी हैं, और शिव स्वयं 'अर्धनारीश्वर' के रूप में स्त्री-पुरुष संतुलन के प्रतीक माने जाते हैं। इसलिए स्त्रियों को शिव की आराधना करने से किसी भी प्रकार का निषेध नहीं है। हां, कुछ धार्मिक नियम और मानसिकता की शुद्धता ज़रूरी होती है, खासकर जब बात शिवलिंग की सीधी पूजा की हो।
 
पीरियड्स के दौरान शिवलिंग पूजा से बचें
शास्त्रों और परंपराओं के अनुसार, मासिक धर्म के दौरान महिलाएं किसी भी प्रकार की देव-पूजा से दूरी बनाकर रखें। इसका कारण अशुद्धता नहीं, बल्कि ऊर्जा का संतुलन और शारीरिक विश्राम से जुड़ा हुआ है। इस दौरान महिलाओं का शरीर संवेदनशील होता है और पूजा में लगने वाली ऊर्जा की प्रक्रिया से उनका स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। इसलिए इस समय केवल मानसिक रूप से शिव का ध्यान करें, मंत्र जपें और आंतरिक शांति को प्राथमिकता दें।
 
शिवलिंग को सीधे हाथ न लगाएं (अगर मन में संदेह हो तो)
कुछ मान्यताओं के अनुसार अविवाहित लड़कियों को शिवलिंग को स्पर्श नहीं करना चाहिए। हालांकि यह एक परंपरागत सोच है, जिसका उद्देश्य पूजा में मर्यादा और एकाग्रता बनाए रखना है। अगर आप पूरी श्रद्धा के साथ शिवलिंग को स्पर्श कर रही हैं और आपके भीतर कोई विकार नहीं है, तो यह भी स्वीकार्य है। लेकिन अगर मन में संकोच या भय हो, तो बेहतर है आप जल, दूध, बेलपत्र आदि को दूर से अर्पित करें और केवल मंत्र जपते हुए ध्यान केंद्रित रखें।
 
सच्ची भक्ति और भाव का रखें ध्यान
भोलेनाथ को दिखावे की नहीं, दिल से की गई भक्ति प्रिय होती है। इसलिए लड़कियों को चाहिए कि पूजा करते समय अपने वस्त्र, व्यवहार और सोच को पवित्र रखें। शालीन और साफ-सुथरे वस्त्र पहनें, मोबाइल या फोटो खिंचवाने की जल्दबाज़ी न करें और अपनी आंतरिक ऊर्जा को शिव में समर्पित करें। याद रखें, आपकी भक्ति ही आपकी सबसे बड़ी शक्ति है।
 
बेलपत्र अर्पण करते समय नियमों का करें पालन
बेलपत्र शिवलिंग पर चढ़ाने का खास महत्व होता है, लेकिन इसे चढ़ाते समय ध्यान रखें कि पत्ते पर कोई छेद न हो और उसे उल्टा न रखें। लड़कियां अगर बेलपत्र अर्पण करती हैं तो यह ध्यान रखें कि उसे पहले गंगाजल से धोकर, साफ-सुथरे हाथों से चढ़ाएं। इससे आपकी भक्ति और नियम दोनों पूरे होते हैं।
 
व्रत करें तो संयम के साथ, शरीर पर अत्याचार न करें
कई लड़कियां सावन के सोमवार को व्रत रखती हैं, जो कि एक सुंदर और आध्यात्मिक परंपरा है। लेकिन इस दौरान जरूरत से ज्यादा भूखा रहना या पानी तक न पीना स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए संयम और श्रद्धा के साथ व्रत करें, लेकिन अगर शरीर संकेत दे रहा है कि उसे पोषण की ज़रूरत है, तो थोड़ी मात्रा में फलाहार जरूर लें। शिव भी तो करुणामय हैं, वह तपस्या से अधिक आपके भाव देखते हैं।
 

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