Sarva pitru amavasya 2023: सर्व पितृ अमावस्या की खास बातें, जानें श्राद्ध करने का शुभ मुहूर्त
Sarvapritru Amavasya : इस बार 14 अक्टूबर 2023 को सर्वपितृ अमावस्या मनाई जाएगी। इस दिन जिनकी तिथि ज्ञात नहीं है या जिनकी तिथि पर उनका श्राद्ध करना भूल गए हैं अथवा सभी ज्ञात-अज्ञात पूर्वजों का श्राद्ध सर्व पितृ अमावस्या के दिन किया जाता है। श्राद्ध के संबंध में ऐसी मान्यता है कि इस दिन सभी पितृ श्राद्धकर्ता के घर उपस्थित होते हैं। अत: इस दिन सभी ज्ञात और अज्ञात दिवंगतों का श्राद्ध किया जाता है।
आइए जानते हैं श्राद्ध की खास बातें और मुहूर्त के बारे में-
1. तर्पण तथा पिंडदान केवल पिता के लिए ही नहीं बल्कि समस्त पूर्वजों एवं मृत परिजनों के लिए भी किया जाता है।
2. समस्त कुल, परिवार तथा ऐसे लोगों को भी जल दिया जाता है, जिन्हें जल देने वाला कोई न हो।
3. पिता के श्राद्ध का अधिकार उसके बड़े पुत्र को है लेकिन यदि जिसके पुत्र न हो तो उसके सगे भाई या उनके पुत्र श्राद्ध कर सकते हैं। यदि कोई नहीं हो तो उसकी पत्नी श्राद्ध कर सकती है।
4. श्राद्ध का अधिकार पुत्र को प्राप्त है। लेकिन यदि पुत्र जीवित न हो तो पौत्र, प्रपौत्र या विधवा पत्नी भी श्राद्ध कर सकती है।
5. पुत्र के न रहने पर पत्नी का श्राद्ध पति भी कर सकता है।
6. हालांकि जो कुंआरा मरा हो तो उसका श्राद्ध उसके सगे भाई कर सकते हैं और जिसके सगे भाई न हो, उसका श्राद्ध उसके दामाद या पुत्री के पुत्र (नाती) को और परिवार में कोई न होने पर उसने जिसे उत्तराधिकारी बनाया हो, वह व्यक्ति उसका श्राद्ध कर सकता है।
7. यदि सभी भाई अलग-अलग रहते हों तो वे भी अपने-अपने घरों में श्राद्ध का कार्य कर सकते हैं। यदि संयुक्त रूप से एक ही श्राद्ध करें तो वह अच्छा होता है।
8. यदि कोई भी उत्तराधिकारी न हो तो प्रपौत्र या परिवार का कोई भी व्यक्ति श्राद्ध कर सकता है।
9. श्राद्ध करने का अधिकार सबसे पहले पिता पक्ष को, पिता पक्ष नहीं है तो माता पक्ष को और माता पिता का पक्ष नहीं है तो पुत्री पक्ष के लोग श्राद्ध कर सकते हैं। यदि यह भी नहीं है तो उत्तराधीकारी या जिन्होंने सेवा की वह श्राद्ध कर सकता है।
10. श्राद्ध उसे करना चाहिए जो श्रद्धापूर्वक यह करना चाहता है और जिसके मन में मृतक की मुक्ति हो ऐसी कामना है।
सर्वपितृ अमावस्या तिथि का प्रारंभ- 13 अक्टूबर 2023 को 1.20 पी एम बजे
अमावस्या तिथि की समाप्ति- 14 अक्टूबर 2023 को 2.54 पी एम बजे
कुतुप मुहूर्त- 10.51 ए एम से 11.40 ए एम
अवधि- 00 घंटे 49 मिनट्स
रौहिण मुहूर्त- 11.40 ए एम से 12.29 पी एम
अवधि- 00 घंटे 49 मिनट्स
अपराह्न काल- 12.29 पी एम से 02.56 पी एम
अवधि- 02 घंटे 28 मिनट्स
शुभ समय :
ब्रह्म मुहूर्त- 03.33 ए एम से 04.19 ए एम
प्रातः सन्ध्या 03.56 ए एम से 05.06 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 10.51 ए एम से 11.40 ए एम
विजय मुहूर्त- 01.18 पी एम से 02.07 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 05.24 पी एम से 05.47 पी एम
सायाह्न सन्ध्या 05.24 पी एम से 06.34 पी एम
अमृत काल 15 अक्टूबर को 02.50 ए एम से 04.33 ए एम तक
निशिता मुहूर्त- 10.51 पी एम से 11.38 पी एम तक।
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