जानिए शनि कब देते हैं अशुभ फल, एक विश्लेषण

आज हम देखते हैं कि हर कोई शनि महाराज से डरता है, कहीं मुझे शनि का प्रकोप ना हो जाए? आखिर में शनि क्या है, जो इतना लोग डरते हैं? शनि वास्तव में आकाश मंडल में दिखने वाला खूबसूरत ग्रह है। उसका वलय देखते ही बनता है। 


 
दरअसल अपनी जेब भरने के लिए ही लोगों ने शनि का खौफ फैला रखा है। 

शनि कब-कब हानिप्रद रहता है, इसी को ध्यान में रखकर अपने अनुभव प्रस्तुत है।
 
* जब शनि वक्री होकर जन्म पत्रिका में भाग्य भाव में हो या लग्न स्थान में हो तब उसका फल उत्तम नहीं मिलता। 

* भाग्य में वक्री होने से भाग्य की वृद्धि में बाधक बनेगा, जब शनि भाग्येश हो तब या लग्न में शनि लग्न का ही मालिक हो। 


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* जब किसी को शनि की महादशा चल रही हो व शनि वृश्चिक राशि का हो तब उसका परिणाम अच्छा नहीं मिलता। 

* शनि मंगल की राशि में शुभ नहीं माना जाता।

* जब शनि तृतीय भाव में होकर भाग्य पर नीच दृष्टि डालता हो, तब भी शनि का शुभ फल नहीं मिलता। 

* शनि सप्तम भाव में उच्च का हो तो लग्न पर नीच दृष्टि डालने से प्रभाव में कमी, कार्य में रूकावटें डालता है। 

* जब शनि मंगल की राशि वृश्चिक या मेष में हो या शनि मंगल का दृष्टी संबंध हो तब शनि की कृपा नहीं मिलती।



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* शनि किसी भी भाव में नीच का हो या शनि मंगल की युति होने पर शनि का कुप्रभाव ही मिलेगा। 

* सप्तम भाव में शनि मंगल का योग दाम्पत्य जीवन में बाधा का कारण बनता है या वैधव्य योग बनाता है। 

* शनि जिस भाव में भी शनि-मंगल से संयोग रखेगा उस भाव से संबंधित कारकों को प्रभावहीन करेगा।

* शनि का संबंध सिर्फ षष्ट भाव पर ही शुभ फल देता है। यहां पर शनि दुश्मनों का नाश करता है व कोर्ट-कचहरी से भी राहत देता है। नाना-मामा के घर को बुरा प्रभाव यहां होने से पड़ता है।
 

शनि का उपाय :- 
 
* यदि शनि किसी की पत्रिका में अशुभ होकर बैठा हो तो उस जातक को तिल का तेल कच्ची जमीन पर एक चम्मच प्रति शनिवार को गिराना चाहिए एवं शनि की मूर्ति पर सीधी नजर नहीं डालनी चाहिए। थोड़े से खड़े उड़द स्नान के जल में डालकर नहाएं। 


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