शनि प्रदोष पर पूजन कैसे करें : शनि प्रदोष व्रत के दिन साधक को प्रात: सूर्योदय से पहले जागकर स्नान तथा ध्यान के पश्चात भगवान शिव पावन व्रत का संकल्प करना चाहिए तथा विधि-विधानपूर्वक शिव का पूजन-अर्चन करना चाहिए। तत्पश्चात पुन: सायंकाल के समय प्रदोष काल में एक बार फिर स्नान-ध्यान के बाद विधिपूर्वक शिव-शनि का विशेष पूजन करके प्रदोष कथा का वाचन अथवा श्रवण करने के साथ ही शिव तथा शनि के मंत्रों का जाप करना चाहिए।
मान्यता के अनुसार प्रदोष व्रत पर भगवान शिव की आरती एवं पूजा शाम के समय में ही की जाती है। सायंकाल में जब सूर्य अस्त हो रहा हो और रात्रि का आगमन हो रहा हो उस समय या प्रहार को प्रदोष काल कहा जाता है। माना जाता है की प्रदोष काल में स्वयं शिव साक्षात शिवलिंग पर अवतरित होते हैं और इसीलिए इस समय शिव का स्मरण तथा पूजन करने से जीवन में उत्तम फल प्राप्त होता है।
प्रदोष व्रत का महत्व : धार्मिक मान्यतानुसार आज के दिन शिव जी का पूजन-अर्चन करने से घर में सुख तथा समृद्धि आती है तथा सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। साथ ही इस दिन शनिवार पड़ने के कारण शनि पूजन का भी विशेष महत्व माना जाता है। इस बार का व्रत पौष महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर पड़ रहा है तथा शनिवार को आने वाले दिन को शनि प्रदोष के नाम से जाना जाता है।
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