शनि त्रयोदशी कब है, कर लेंगे ये 5 उपाय तो शनि दोष हो जाएगा दूर

WD Feature Desk

शुक्रवार, 27 दिसंबर 2024 (17:01 IST)
Shani Pradosh Vrat 2024: इस बार 28 दिसंबर 2024, दिन शनिवार को शनि त्रयोदशी मनाई जा रही है। इस दिन पौष प्रदोष व्रत भी पड़ रहा है। धार्मिक पुराणों के अनुसार साल भर में हर महीने में दो बार प्रदोष व्रत आता है, एक शुक्ल और दूसरा कृष्ण पक्ष में तथा यह व्रत द्वादशी और त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है। हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार शनि प्रदोष या शनि त्रयोदशी के दिन व्रत करने से शनि संबंधी समस्त दोष दूर हो जाते हैं। इस दिन शनिदेव की शांति तथा संतान प्राप्ति के लिए भी शनि त्रयोदशी का व्रत किया जाता है। साथ ही इस दिन भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने हेतु प्रदोष व्रत रखकर शनिदेव के साथ-साथ भोलेनाथ का व्रत-पूजन करने से शिव जी खुश होकर सभी सांसारिक सुख तथा पुत्र प्राप्ति का वरदान भी देते हैं।ALSO READ: कुंभ राशि में शुक्र और शनि की युति से वर्ष 2025 में होगा कमाल, 5 राशियां हो जाएंगी मालामाल
 
Highlights
शनि को मनाने के लिए शनि प्रदोष व्रत बहुत फलदायी कहा गया है। यह व्रत करने वाले पर शनिदेव की असीम कृपा होती है। यदि आप भी शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या या महादशा से परेशान हैं, तो ये 5 उपाय आपके लिए लाभकारी सिद्ध हो सकते हैं। इतना ही नहीं इन उपायों से जहां आपको शनि की कृपा प्राप्त‍ होगी, वहीं शनि दोष से मुक्ति भी मिलेगी। आइए यहां जानते हैं शनि त्रयोदशी के 5 चमत्कारिक उपाय....ALSO READ: Saturn dhaiya 2025 वर्ष 2025 में किस राशि पर रहेगी शनि की ढय्या और कौन होगा इससे मुक्त
 
शनि त्रयोदशी/ प्रदोष व्रत के सरल उपाय :  
 
1. शनि प्रदोष के दिन भगवान शिव जी का भस्म व तिलाभिषेक करना लाभदायी रहता है। अत: शनि प्रदोष पर पार्थिव शिवलिंग का तिल के तेल से अभिषेक करने का विशेष महत्व है। साथ ही शनिदेव का भी तिल और सरसों के तेल से अभिषेक किया जाता है।
 
2. इस दिन शनिदेव को खुश करने के लिए स्नान तथा ध्यान के पश्चात गंगा जल में काले तिल मिलाकर पीपल वृक्ष में अर्घ्य देना चाहिए तथा उसी समय पीपल के पेड़ की 3 परिक्रमा करके कम से कम 5 बार उठक-बैठक करना चाहिए। 
 
3. यदि आपको करियर या बिजनेस में सफलता नहीं मिल रही है, आर्थिक स्थिति बिगड़ रही हो या पारिवारिक रिश्तों में निरंतर अनबन चल रही हो और यदि आप जीवन में शनिदेव की कृपा पाना चाहते हैं तो शनिवार के दिन शनिदेव, शिव जी तथा हनुमान जी की विधिवत पूजा करके उनके चालीसा का पाठ करते हैं तो इससे कुंडली में शनि की स्थिति मजबूत होती है तथा शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या या महादशा में निजात मिलती है। 
 
4. इस दिन शनि चालीसा, दशरथकृत शनि स्तोत्र, शिव चालीसा आदि पाठ करने के साथ ही इनके मंत्रों के जाप करने से शनि दोष के अशुभ प्रभाव से मिलने वाले बुरे फलों में कमी आती है तथा जीवन की परेशानियों से मुक्ति मिलती है। व्रतधारी को कम से कम यह पाठ  ग्यारह बार अवश्य करना चाहिए। 
 
5. शनि त्रयोदशी व्रत शनि के अशुभ प्रभाव से बचाव के लिए उत्तम कहा गया है। इसीलिए व्रतधारी को शनि प्रदोष के दिन प्रात: में भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करके फिर शनिदेव का पूजन करना चाहिए। तथा इस दिन भगवान भोलेनाथ को शकर का भोग अर्पित करना चाहिए।

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

ALSO READ: साल 2025 के शुरुआत में सूर्य और शनि की युति, 3 राशियों को होगा जबरदस्त फायदा

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी