Shani sade sati: कब और किस समय शुरू होगी इन 3 राशियों पर शनि की साढ़े साती?

WD Feature Desk

शनिवार, 18 मई 2024 (15:34 IST)
Shani Sade Sati: शनि की ढैया, साढ़ेसाती, दशा, महादशी और वक्री चाल में शनिदेव जातक का खूब खर्चा करवाते हैं। कुंभ राशि में शनि के प्रवेश करते ही कर्क और वृश्चिक राशि वालों पर शनि की ढैया शुरू हो गई थी, जबकि मकर, कुंभ और मीन राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है। अगले वर्ष 2025 से और उसके बाद से इन 3 राशियों पर शुरू होगी शनि की साढ़ेसाती।
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किस पर चल रही है शनि की साढ़ेसाती:-
  1. शनि के कुंभ राशि में रहने के कारण 1. मकर, 2. कुंभ और 3. मीन राशि वालों के ऊपर शनि की साढ़ेसाती है।
  2. मकर राशि वालों पर शनि की साढेसाती का आखिरी चरण चल रहा है। 
  3. मकर पर साढ़ेसाती 26 जनवरी 2017 से शुरू हुई थीँ, जो 29 मार्च 2025 को समाप्त होगी।
  4. मीन पर शनि की साढ़ेसाती प्रारंभ होकर इसका पहला चरण 29 मार्च 2025 तक चलेगा और इस राशि पर 7 अप्रैल 2030 तक साढ़ेसाती रहेगी।
 
1. मेष राशि: आपकी राशि पर मेष पर साढ़ेसाती की शुरुआत 29 मार्च 2025 से होगी और यह 31 मई 2032 तक रहेगी। 
 
2. वृषभ राशि: आपकी राशि वृषभ पर साढ़ेसाती की शुरुआत 03 जून 2027 से होगी और यह 13 जुलाई 2034 तक रहेगी। 
 
3. मिथुन राशि: अपकी राशि मिथुन पर साढ़ेसाती की शुरुआत 08 अगस्त 2029 से होगी और 27 अगस्त 2036 तक रहेगी।
अन्य राशियों पर कब लगेगी साढ़ेसाती? 
कर्क : 31 मई 2032 से 22 अक्टूबर 2038 तक।
सिंह : 13 जुलाई 2034 से 29 जनवरी 2041 तक।
कन्या : 27 अगस्त 2036 से 12 दिसंबर 2043 तक।
तुला :22 अक्टूबर 2038 से 8 दिसंबर 2046 तक।
वृश्चिक : 28 जनवरी 2041 से 3 दिसंबर 2049 तक।
धनु राशि : 12 दिसंबर 2043 से 3 दिसंबर 2049 तक। 
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सावधानी :-
साढ़ेसाती एक ऐसा समय रहता है जबकि जातक के कर्मों का हिसाब किताब शुरु होता है। ढैया ढाई साल की, साढ़ेसाती साढ़े सात साल की और दशा 19 साल की होती है। यदि कर्म अच्छे हैं तो यह समय अच्‍छा भी रहता है। परंतु जब व्यक्ति बुरे कर्म करता है तो शनिदेव का चक्र प्रारंभ हो जाता है। जैसे कि ब्याज का धंधा करना, पराई स्त्री पर नजर रखना, झूठ बोलना, शराब पीना, हत्या करना, चोरी करना, गरीबों को सताना, जानवरों को मारना, सांप को मारना और देवताओं का अपमान करना ये बुरे कर्म है।
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उपाय :-
प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ना चाहिए।
गरीब, सफाईकर्मी, अंधे, विधवा और अपंग लोगों की सहायता करना चाहिए।
प्रति शनिवार को शाम को छाया दान करना चाहिए।
अपने कार्य और कर्म के प्रति ईमानदार और सतर्क रहना चाहिए।

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