आश्विन मास की पूर्णिमा वर्षभर में आनेवाली सभी पूर्णिमा से श्रेष्ठ मानी गई है। इसे शरद पूर्णिमा या कोजागर पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन चंद्रमा का पूजन करना आर्थिक दृष्टि से फलदायक रहता है। आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा के दिन क्या करें...
* शरद पूर्णिमा को प्रात:काल ब्रह्ममुहूर्त में सोकर उठें।
* पश्चात नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नान करें।
* स्वयं स्वच्छ वस्त्र धारण कर अपने आराध्य देव को स्नान कराकर उन्हें सुंदर वस्त्राभूषणों से सुशोभित करें।
* इसके बाद उन्हें आसन दें।
* अंब, आचमन, वस्त्र, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, ताम्बूल, सुपारी, दक्षिणा आदि से अपने आराध्य देव का पूजन करें।
* इसके साथ गोदुग्ध से बनी खीर में घी तथा शकर मिलाकर पूरियों की रसोई सहित अर्द्धरात्रि के समय भगवान का भोग लगाएं।
* पश्चात व्रत कथा सुनें। इसके लिए एक लोटे में जल तथा गिलास में गेहूं, पत्ते के दोने में रोली तथा चावल रखकर कलश की वंदना करके दक्षिणा चढ़ाएं।
* फिर तिलक करने के बाद गेहूं के 13 दाने हाथ में लेकर कथा सुनें।
* तत्पश्चात गेहूं के गिलास पर हाथ फेरकर मिश्राणी के पांव का स्पर्श करके गेहूं का गिलास उन्हें दे दें।
* अंत में लोटे के जल से रात में चंद्रमा को अर्घ्य दें।
* सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित करें और रात्रि जागरण कर भगवद् भजन करें।
* चांद की रोशनी में सुई में धागा अवश्य पिरोएं।
* निरोग रहने के लिए पूर्ण चंद्रमा जब आकाश के मध्य में स्थित हो, तब उसका पूजन करें।
* रात को ही खीर से भरी थाली खुली चांदनी में रख दें।
* दूसरे दिन सबको उसका प्रसाद दें तथा स्वयं भी ग्रहण करें।