* श्राद्ध पक्ष में शुभ कार्यों को लेकर जानिए आधुनिक विचारधारा
श्राद्ध पक्ष के दौरान किए जाने वाले कार्यों को लेकर आजकल कई बातें चल रही हैं। बहुत से जजमान इन दिनों में किसी भी प्रकार का शुभ कार्य निषिद्ध बताते हैं तो आधुनिक विचारधारा के कई लोगों का मानना है कि इन दिनों शुभ-अशुभ जैसा कुछ नहीं होता।
प्राचीन मान्यता के अनुसार इस पक्ष के समय शुभ कार्य पर विराम लग जाता है। यह पितृपक्ष के संबंध में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए लोगों द्वारा तर्पण देने का प्रारंभ होता है। पितृपक्ष के संबंध में विद्वानों का मानना है कि इस पक्ष में भगवान के यहां सभी द्वार खुले होते हैं। जिनकी मृत्यु इस पर्व के चलते होती है वे सीधे स्वर्ग में जाने का अधिकार रखते हैं। इस कारण से पितृपक्ष में गुजरे हुए पूर्वजों को विशेष तर्पण दिया जाता है ताकि उनकी आत्मा को शांति मिले एवं उन्हें स्वर्ग प्राप्ति कर मोक्ष मिले।
इन पूरे 15 दिन तक तर्पण की सामग्री जैसे दाल-चावल इत्यादि रखकर नदी या तालाब में ठंडा करते हैं जिन्हें मछली ले जाकर खाती है। इस पर भी पूर्वजों के आने का संकेत होता है। पितृ पक्ष पर्व वैसे तो अशुभ पर्व माना जाता है इस कारण 15 दिन तक कोई दाढ़ी-मूंछ तथा कटिंग नहीं कराते हैं, क्योंकि यह पितृ तर्पण का बहुत बड़ा पर्व है। पूरे 15 दिन तक किसी न किसी के यहां पूर्वज किसी भी रूप में आकर रखी सामग्रियों का भोग करते हैं।
पर्व के चलते मातृ व पितृ तर्पण महत्वपूर्ण होता है। इसमें नवमी, एकादशी सहित अन्य दिनों में पूर्वज आते हैं। वर्ष में सूर्य की 2 गतियां होती हैं- उत्तरायण और दक्षिणायन। मकर की संक्रांति में सूर्य उत्तरायण होते हैं तथा कर्क की संक्रांति में दक्षिणायन।
दक्षिणायन में अनेक शुभ कार्य वर्जित हैं। शुभ कार्य सूर्य के उत्तरायण होने पर संपन्न किए जाते हैं। इन सबका अपना एक वैज्ञानिक महत्व है। पितृ पक्ष सूर्य की दक्षिणायन गति में आता है इसलिए लोग इस पक्ष को केवल पितरों के निमित्त छोड़ देते हैं। वे इस समय में अधिकांश शुभ कार्य नहीं करते।
शास्त्रों ने भी इसी उद्देश्य से इन दिनों को शुभ कार्य के लिए वर्जित कर रखा है। पितृ पक्ष वर्ष में 15 दिनों का पितृ पर्व है। इसमें भोजन कराना, दान देना, अपने पूर्वजों को स्मरण करना, देव पितरों के सान्निध्य में रहना अनेक प्रकार के कार्य शुभ हैं।