आपकी हथेली का सूर्य पर्वत कैसा है
हथेली पर पर्वतों की स्थिति अलग-अलग स्थानों पर बनती है। हथेली में गुरु, शनि, सूर्य, बुध अंगुली के निचले हिस्से में रहते हैं, वहीं मंगल तर्जनी व अंगूठे के मध्य, शुक्र पर्वत अंगूठे के नीचे, चंद्र पर्वत कनिष्ठिका अंगुली के नीचे व कलाई के ऊपर वाले भाग में स्थित है।
सूर्य पर्वत यदि पूर्णरूपेण उन्नत, विकसित तथा आभायुक्त हो तो ऐसा जातक उच्च स्थान पर पहुंचने वाला होता है। ऐसा जातक हंसमुख तथा मित्रों में घुल-मिलकर चलने वाला होता है। ऐसे जातक विख्यात होकर जनसाधारण में लोकप्रिय होते हैं। ये व्यक्ति सफल कलाकार, श्रेष्ठ संगीतज्ञ, यशस्वी चित्रकार भी होते हैं। इनमें प्रतिभा जन्मजात होती है। व्यावहारिक दृष्टि से ये ईमानदार तथा वैभवशाली जीवन जीने के इच्छुक होते हैं। ऐसे जातक सफल व्यापारी एवं उत्तम आय वाले होते हैं।
सूर्य पर्वत वाले जातक सामने वाले के मन की थाह पाने वाले होते हैं। हथेली में यदि सूर्य पर्वत विकसित हो तो सामान्य व्यक्ति भी श्रेष्ठ धन-संपन्न बन जाता है। इनके जीवन में कई बार आकस्मिक धन की प्राप्ति होती है। इनका रहन-सहन राजसी और वैभवपूर्ण होता है। ऐसे व्यक्ति हृदय से कोमल होते हैं और बड़ी सहजता से अपनी गलती स्वीकार करने वाले होते हैं। ऐसे जातक सुलझे विचारों और प्रतिभा के धनी होने से अपना विरोध सह नहीं पाते और मुंह पर स्पष्ट बात कह देते हैं। ऐसे जातक कुछ कर गुजरने की क्षमता लिए रहते है।
ऐसे व्यक्ति समाज में दूसरों को प्रभावित करने की अद्भुत क्षमता रखते हैं। ऐसे जातक सम्मानित भी होते हैं। सूर्य पर्वत जरूरत से ज्यादा विकसित (उभरा) होने पर वह व्यक्ति अत्यधिक घमंडी, झूठी प्रशंसा करने वाला, फिजूलखर्ची वाला झगड़ालू भी होता है। ऐसे लोग जीवन में पूर्ण सफलता नहीं पाते। इनकी मित्रता भी सामान्य लोगों तक रहती हैं।