सूर्यदेव के कर्क राशि में प्रवेश करने को कर्क संक्रांति कहा जाता है। कर्क संक्रांति सूर्यदेव की दक्षिण यात्रा के प्रारंभ को दर्शाती है जिसे दक्षिणायन कहते हैं। कर्क संक्रांति को छह माह के उत्तरायण काल का अंत माना जाता है। इस दिन से दक्षिणायन की शुरुआत होती है, जो मकर संक्रांति तक चलती है।