स्वस्तिक संस्कृत के स्वस्ति शब्द से निर्मित है। स्व और अस्ति से बने स्वस्ति का अर्थ है कल्याण। यह मानव समाज एवं विश्व के कल्याण की भावना का प्रतीक है। 'वसोमम'- मेरा कल्याण करो का भी यह पावन प्रतीक है। इसे शुभकामना, शुभभावना, कुशलक्षेम, आशीर्वाद, पुण्य, पाप-प्रक्षालन तथा दान स्वीकार करने के रूप में भी प्रयोग, उपयोग किया जाता है।
प्राचीन मान्यता के अनुसार यह सूर्य मंडल के चारों ओर चार विद्युत केंद्र के समान लगता है। इसकी पूरब दिशा में वृद्धश्रवा इंद्र, दक्षिण में वृहस्पति इंद्र, पश्चिम में पूषा-विश्ववेदा इंद्र तथा उत्तर दिशा में अरिष्टनेमि इंद्र अवस्थित हैं।