Tula sankranti significance: सूर्य के तुला राशि में प्रवेश को तुला संक्रांति कहते हैं। तुला राशि में सूर्य नीच का माना गया है जबकि मेष राशि में उच्च का। सौर मास के दो हिस्से है उत्तरायण और दक्षिणायम। सूर्य के मकर राशी में जाने से उत्तरायण प्रारंभ होता है और कर्क में जाने पर दक्षिणायन प्रारंभ होता है। इस बीच तुला संक्रांति होती है। तुला संक्रांति का महत्व दक्षिण भारत में ज्यादा है।
कब है तुला संक्रांति | tula sankranti kya hai: सूर्य का 17 अक्टूबर 2024 गुरुवार को सुबह 7 बजकर 27 मिनट पर बुध की राशि कन्या से निकलकर तुला में प्रवेश कर गए हैं जो अब हर राशि के जातकों को प्रभावित करेंगे।
तुला संक्रान्ति पुण्य काल- प्रात: 06:24 से 11:44 के बीच।
तुला संक्रांति महा पुण्य काल- प्रात: 06:24 से 09:48 के बीच।
तुला संक्रान्ति का क्षण- प्रात: 07:27 पर।
तुला संक्रांति का महत्व | Significance of Tula Sankranti:
- तुला संक्रांति का कर्नाटक में खास महत्व है। वहां इसे तुला संक्रमण कहा जाता है।
- इस दिन तीर्थोद्भव या 'तीर्थधव' के नाम से कावेरी के तट पर मेला लगता है, जहां स्नान और दान-पुण्य किया जाता है।
- इस तुला माह में गणेश चतुर्थी की भी शुरुआत होती है। कार्तिक स्नान प्रारंभ हो जाता है।
- संक्रांति का सम्बन्ध कृषि, प्रकृति और ऋतु परिवर्तन से भी है।
- संक्रांति के दिन नदी स्नान और पितृ तर्पण भी किया जाता है।
- संक्रांति के दिन पूजा करने के बाद गुड़-तिल का प्रसाद बांटाते हैं।
- पूर्णिमा, चतुर्थी, एकादशी, प्रदोष जैसे व्रतों की तरह संक्रांति के दिन की भी बहुत मान्यता है।
- मत्स्यपुराण में संक्रांति के व्रत का वर्णन किया गया है।