वैशाख मास की इन तीन पुण्य तिथियों में करें ये कार्य तो संकट होगा समाप्त

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वैशाख या बैशाख माह हिन्दू कैलेंडर के अनुसार वर्ष का दूसरा माह होता है। इस महीने गंगा उपासना, वरुथिनी एकादशी, मोहिनी एकादशी, अक्षय तृतीया, वैशाख पूर्णिमा जैसे महत्वपूर्ण त्योहार और व्रत आदि मनाए जाते हैं। इस माह की भी पुराणों में महिमा का वर्णन है। आओ जानते हैं कि इस माह की पुण्य तिथियों में क्या करना चाहिए।
 
 
वैशाख मास की दोनों एकादशी, अमावस्या, अक्षय तृतीया और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा तिथियां बड़ी पवित्र और शुभ मानी गई हैं।
 
1. वैशाख अमावस्या : धर्म-कर्म, स्नान-दान और पितरों के तर्पण के लिए अमावस्या का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। काल सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए भी अमावस्या तिथि पर ज्योतिषीय उपाय किये जाते हैं। पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण एवं उपवास करें और किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें। अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर सुबह जल चढ़ाना चाहिए और संध्या के समय दीपक जलाना चाहिए। इस दिन नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देकर बहते हुए जल में तिल प्रवाहित करें। दक्षिण भारत में वैशाख अमावस्या पर शनि जयंती मनाई जाती है। वैशाख अमावस्या पर शनि जयंती भी मनाई जाती है, इसलिए शनि देव तिल, तेल और पुष्प आदि चढ़ाकर पूजन करनी चाहिए।
 
2. वैशाख पूर्णिमा : वैशाख शुक्ल एकादशी तिथि को शुभ अमृत प्रकट हुआ था। द्वादशी के दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी के रूप में अमृत की रक्षा की थी। त्रयोदशी को श्रीहरि ने देवताओं को अमृत पान कराया था। चतुर्दशी को देव विरोधी दैत्यों का संहार किया था। पूर्णिमा के दिन समस्त देवताओं को उनका साम्राज्य प्राप्त हो गया था। इसीलिए देवताओं के वरदान से वैशाख शुक्ल पक्ष की अंतिम तीन तिथियां पुष्करिणी नाम से पुण्य दायिनी मानी गई है।
 
गीता पाठ करें : वैशाख मास की इन अंतिम तीन तिथियों में गीता का पाठ, विष्णु सहस्रनाम का पाठ, श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए।

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