दो लोगों का एक संस्कार के माध्यम से मिलान होता है, जो जीवनपर्यंत साथ में जीवन का निर्वाह करते हैं। विवाह के संदर्भ में आवश्यक निश्चित नियम निरूपित किए गए हैं जिसके आधार पर विवाह के संबंध में भविष्यवाणी की जा सकती है।
विवाह में मिलान का क्या महत्व है?
विवाह में मिलान का सर्वाधिक महत्व होता है। इसमें 2 तरह के मिलान करना अतिआवश्यक होता है- गुण मिलान-पत्रिका मिलान, राशि मिलान-ग्रह मिलान जिसमें व्यवहार, चरित्र, परस्पर सुख, आपस के योग आदि देखे जाते हैं।
विवाह सुख क्या होता है?
गुण मिलान से वैवाहिक सुख नहीं देखा जा सकता। इसमें विशेष रूप से पत्रिका में लड़का-लड़की आपस में एक-दूसरे को कितना सुखी रखेंगे, ये देखा जाता है। परस्पर लड़के और लड़की के वैवाहिक सुख का अध्ययन कर आपस में सुख देखना ही वैवाहिक सुख कहा जा सकता है।
पत्रिका से विवाह के बारे में क्या-क्या जाना जा सकता है?
विवाह कब होगा, किस तरह का होगा, किस राशि वाले से होगा, किस दिशा में होगा, साथी का कुल, चरित्र, गुण-दोष, विवाहों की संख्या आदि सभी बातें जानी जा सकती हैं।
विवाह के मुहूर्त का क्या महत्व है?
जिस तरह शादी की बाकी चीजें महत्वपूर्ण होती हैं, उससे भी महत्वपूर्ण होता है शादी का मुहूर्त, जो कि लड़के और लड़की दोनों के अनुसार देखा जाता है जिसमें मुख्य रूप से तिथि, वार, नक्षत्र, योग, माह, पक्ष तथा गुरु, शुक्र, चन्द्र और सूर्य 4, 6, 8, 12 न हो और रेखा बल देखा जाता है।
वर्ष 2016 के विवाह मुहूर्त :
* जनवरी : 15, 19, 20, 29
* फरवरी : 4, 5, 22, 24
* मार्च : 2, 5, 10
अप्रैल : 16, 17, 18, 19, 20, 22, 23, 26, 27
* नवंबर : 16, 23, 24
* दिसंबर : 1, 3, 8, 9, 12
कुल 28 विवाह मुहूर्त।
क्या होते हैं विवाह योग?
पत्रिका में सप्तम भाव, सप्तमेश, नवमांश कुंडली, गुरु, शुक्र, चन्द्र का अध्ययन कर विवाह योग का निर्धारण किया जाता है। गोचर में गुरु की दृष्टि, सप्तमेश या गुरु, शुक्र की दशा में विवाह संपन्न होते हैं।
किन कारणों से विवाह में आती हैं रुकावटें?
पत्रिका का यदि अध्ययन किया जाए तो आसानी से बताया जा सकता है कि विवाह होगा या नहीं। जिस तरह विवाह होने के कई कारण हैं, उसी प्रकार नहीं होने के भी कई योग होते हैं जिनके कारण शादी में आती हैं रुकावटें जिसमें सबसे प्रमुख होता है पत्रिका में सप्तम भाव, सप्तमेश, नवमांश कुंडली में अशुभ या पाप ग्रहों का होना या दृष्टि पापग्रसित, नीच या शत्रु राशि में सप्तमेश या शुक्र, गुरु, चन्द्र का होना, मांगलिक होना।
मांगलिक दोष के बारे में आप क्या कहेंगे?
पत्रिका में यदि मंगल 1, 2, 4, 7, 8, 12 भाव में बैठा हो तो मांगलिक दोष कहलाता है, पर इससे ज्यादा व इससे जुड़ी हुईं कई भ्रांतियां भी हैं। कई बार इसका प्रभाव स्वत: ही निरस्त हो जाता है। यह बात भी मैं प्रामाणिकता से कह सकता हूं, जैसे मंगल का उच्च या स्वराशि में होना, मंगल का गुरु, शुक्र, चन्द्र के साथ होना इस दोष को स्वत: ही निरस्त कर देता है।
आगे पढ़ें शीघ्र विवाह के लिए सरल उपाय...
शीघ्र विवाह के लिए क्या है श्रेष्ठ सरल उपाय?
* ग्रह बाधा निवारण उपाय जैसे जप, पूजा-अर्चना, शांति स्तोत्र पाठ करें या करवाएं।
* रत्नोपचार करें।
* ग्रह दान पदार्थ का दान करें।
* वास्तु के उपाय करें।
* सफेद या पीले रंग की वस्तुओं का प्रयोग अधिक करें।