धनिष्ठा नक्षत्र की विशेषताएं (Speciality of Dhanishta Nakshatra):
1. धनिष्ठा का अर्थ होता है सबसे धनवान।
3. इस नक्षत्र का स्वामी मंगल है, वहीं राशि स्वामी शनि है और देवता वसु हैं।
4. धनिष्ठा नक्षत्र के पहले दो चरणों में उत्पन्न जातक की जन्म राशि मकर, राशि स्वामी शनि, अंतिम दो चरणों में जन्म होने पर राशि कुंभ तथा राशि स्वामी शनि, वर्ण शूद्र, वश्य जलचर और नर यानी सिंह, महावैर योनि गज, गण राक्षस तथा नाड़ी मध्य होती है।
5. धनिष्ठा में जन्मे जातक पर जीवनभर मंगल और शनि का प्रभाव रहता है।
6. नक्षत्र स्त्रैण है, लेकिन मंगल ग्रह की ऊर्जा इस नक्षत्र में अपने चरमोत्कर्ष को छूती है इसीलिए यह उच्च का मंगल भी कहा जाता है।
शारीरिक गठन : प्राय: इस नक्षत्र के लोग दुबले शरीर वाले होते हैं।
सकारात्मक पक्ष : इस नक्षत्र में जन्मे लोग बहुमुखी प्रतिभा और बुद्धि के धनी होते हैं। ये कई-कई क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल किए हुए होते हैं। ये सामरिक योजनाकार, अच्छे शिक्षाविद और अच्छे व्यवस्थापक भी होते हैं। इनमें जमा करने और संसाधनों को इकट्ठा करने की शक्ति निहित होती है।
नकारात्मक पक्ष : धनिष्ठा नक्षत्र में जन्मे जातक का मंगल यदि खराब है तो जातक अधिकतर अभिमानी, अड़ियल तथा जिद्दी स्वभाव का हो जाएगा। इसी स्वभाव के कारण अनेक तरह की समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। मंगल का शुभ प्रभाव खत्म हो जाता है।