अक्सर आपने सुना होगा कि अमुक व्यक्ति बहुत कड़वा बोलता है या अमुक व्यक्ति मुंहफट है। इसके पीछे अधिकांश उस व्यक्ति के स्वभाव को उत्तरदायी मान लिया जाता है। लेकिन कठोर सम्भाषण करने के पीछे जन्मपत्रिका के कुछ ग्रहयोग उत्तरदायी होते हैं। आईए जानते हैं उन ग्रहयोगों के बारे में जो जातक को कटु भाषी या कुतर्की बनाते हैं।
किसी भी जातक की वाणी कैसी होगी, यह जानने के लिए जन्मपत्रिका के द्वितीय भाव, द्वितीयेश एवं बुध-गुरू का विचार किया जाना आवश्यक है। बुध वाणी का नैसर्गिक कारक होता है वहीं गुरू द्वितीय भाव का स्थिर कारक होता है। यदि जन्मपत्रिका के द्वितीय भाव, द्वितीयेश एवं बुध-गुरू पर राहु, शनि व मंगल का प्रभाव हो तो ऐसे व्यक्ति की वाणी कठोर होती है। वह कुतर्की होता है।
यदि द्वितीय भाव, द्वितीयेश व बुध-गुरू पर मंगल का प्रभाव हो एवं मंगल अशुभ भावों का स्वामी हो तो यह जातक को मुंहफट अर्थात् उत्तेजनात्मक सम्भाषण करने वाला बनाता है। यदि बुध के साथ राहु की युति हो व इस युति पर गुरू की पूर्ण दृष्टि हो व द्वितीय भाव पर शुभ ग्रहों का प्रभाव हो तो ऐसा जातक अत्यंत तार्किक होता है। उसे वाद-विवाद में पराजित करना बेहद कठिन होता है। यदि द्वितीय भाव, द्वितीयेश एवं बुध-गुरू पर अधिक पाप प्रभाव हों तो जातक वाणीहीन अर्थात गूंगा हो सकता है।