योगिनी एकादशी आषाढ़ कृष्ण ग्यारस (एकादशी) के दिन मनाई जाती है। वर्ष 2018 में यह एकादशी सोमवार, 9 जुलाई को आ रही है। आषाढ़ मास की इस एकादशी का महत्व तीनों लोक में प्रसिद्ध है। अगर आप भी किसी श्राप से ग्रसित है, तो उससे मुक्ति पाने के लिए यह दिन बहुत खास है।
पौराणिक शास्त्रों में एकादशी व्रत के कुछ नियम दिए गए हैं, अत: यह व्रत इस प्रकार से किया जाना शास्त्रसम्मत है।
आइए जानें...
* आषाढ़ कृष्ण एकादशी के एक दिन पूर्व यानी दशमी तिथि को रात्रि में एकादशी व्रत करने का संकल्प करना चाहिए।
* अगले दिन सुबह स्नानादि सभी क्रियाओं से निवृत्त होकर भगवान श्रीहरि विष्णु तथा लक्ष्मी नारायणजी के स्वरूप का ध्यान करते हुए शुद्ध घी का दीपक, नैवेद्य, धूप, पुष्प तथा फल आदि पूजन सामग्री लेकर पवित्र एवं सच्चे भाव से पूजा-अर्चना करना चाहिए।
* इस दिन गरीब, असहाय अथवा भूखे व्यक्ति को अन्न का दान, भोजन कराना चाहिए तथा प्यास से व्याकुल व्यक्ति को जल पिलाना चाहिए।
* रात्रि में विष्णु मंदिर में दीप दान करते हुए कीर्तन तथा जागरण करना चाहिए।
* एकादशी के अगले दिन द्वादशी तिथि को अपनी क्षमतानुसार ब्राह्मण तथा गरीबों को दान देकर पारणा करना शास्त्र सम्मत माना गया है।
* ध्यान रहें कि इस व्रत में पूरा दिन अन्न का सेवन निषेध है तथा केवल फलाहार करने का ही विधान है।
* दशमी से लेकर पारणा होने तक का समय सत्कर्म में बिताना चाहिए तथा ब्रह्मचार्य व्रत का पालन करना चाहिए।
वर्तमान समय में यह व्रत कल्पतरु के समान है तथा इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य के सभी कष्टों दूर होते हैं तथा हर तरह के श्राप तथा समस्त पापों से मुक्ति दिलाकर यह व्रत पुण्यफल प्रदान करता है।
योगिनी एकादशी पूजा का शुभ समय और मुहूर्त
एकादशी की तिथि रविवार रात्रि 23.30 मिनट से शुरू होकर 9 जुलाई सोमवार को दिन 21.27 मिनट पर समाप्त होगी। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रात 2:22 मिनट तक रहेगा। एकादशी के दिन कृतिका नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग आने से यह एकादशी खासी महत्वपूर्ण हो गई है।