इन 5 राशि वालों में होती है गजब की नेतृत्व क्षमता, बन सकते हैं बड़े राजनेता

बुधवार, 17 नवंबर 2021 (14:33 IST)
Zodiac Signs Astrology : किसी भी क्षेत्र का, टीम का या किसी खास इवेंट का नेतृत्व करना कोई सरल कार्य नहीं होता है। जो व्यक्ति जोखिम उठाना जानता है, बुद्धिमान है और जिसमें भरपूर आत्मविश्‍वास है वही ये कार्य कुशलता से कर सकता है। ज्योतिष की मान्यता के अनुसार 5 राशियों में जन्मजात ही नेतृत्व क्षमता होती है परंतु कई बार पारिवारिक माहौल के कारण वे अपनी इस योग्यता को खो बैठते हैं। हालांकि इसी लग्न के जातकों में यह बात ज्यादा प्रभावी होती है। आओ जानते हैं कि कौनसी राशियों में नेतृत्व क्षमता बाय डिफॉल्ट होती है।
 
 
मंगल की राशि : मंगल ग्रह की दो राशियां हैं। पहली मेष ( Aries ) और दूसरी वृश्‍चिक ( Scorpio )। यह दोनों ही राशियां लड़ाकू राशियां मानी गई है। कहते हैं कि यदि मंगल नेक है तो व्यक्ति कुशल राजनेता, प्रशासनिक अधिकारी, सैनिक और प्रबंधक बन सकता है और यदि मंगल बद अर्थात खराब हो तो व्यक्ति क्रोधी, अहंकारी, घमंडी होता है ज्यादा खराब हो तो अपराधिक प्रवृत्ति निर्मित हो जाती है।
 
 
शनि की राशि : शनि ग्रह की दो राशियां हैं। पहली मकर ( Capricorn ) और दूसरी कुंभ ( Aquarius )। यह दोनों ही राशियां न्यायप्रिय और लीडरशीप में विश्‍वास रखने वाली राशियां होती हैं। मकर जहां पराक्रम में विश्‍वास रखती है वहीं कुंभ राशि के जातक बुद्धि से काम लेते हैं। मकर राशि जहां खुद को स्थापित करने में कुशल है वहीं कुंभ राशि के लोग अपना साम्राज्य अलग खड़ा करने में विश्‍वास रखते हैं। यदि शनि शुभ है तो इस राशि के जातक बड़े नेता, अधिकारी, लेखक, व्यापारी, डॉक्टर, इंजीनियर और वैज्ञानिक हो सकते हैं और यदि अशुभ है तो जिंदगी संघर्ष से भरी होती है और यह संघर्ष का सामना करना भी जानते हैं।
 
 
सूर्य की राशि : मंगल और शनि के बाद सूर्य की राशि वाले जातकों में महान बनने की क्षमता होती है। सूर्य की राशि सिंह ( Leo ) है। सिंह राशि वाले अपना सिद्धांत खुद तय करते हैं। इस राशि के जातकों में गजब की नेतृत्व क्षमता होती है। यह वीर होने के साथ ही समझदार और निडर भी होते हैं। यदि सूर्य अशुभ हो रहा है तो इनमें क्रूर प्रवृत्ति डेवलप हो जाती है। फिर भी हर क्षेत्र में खुद का ही नेतृत्व चाहते हैं।
 
 
कुल पांच राशियां हैं- मेष, वृश्‍चिक, मकर, कुंभ और सिंह। इस राशि के जातकों की आमतौर पर भावना होती है कि सबकुछ हमारे अनुसार ही चले। लोग हमारी बातों को ध्यान से सुनें और उस पर अमल भी करें। जब इनकी कही गई बात कोई नहीं सुनता है तो इनमें क्रोध का विकास हो जाता है।

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