पितृदोष निवारण के लिए श्रेष्ठ संयोग

ND

एक बार फिर चौदह वर्ष बाद सोमवती अमावस्या के साथ शाही सवारी का संयोग बना है। श्रद्धालु शिप्रा में पुण्य स्नान करके शाम को शाही सवारी में जय महाकाल के जयकारे के साथ बाबा महाकाल के मनमहेश स्वरूप के दर्शन करेंगे। इससे पूर्व 1997 में सोमवती के साथ शाही सवारी का संयोग निर्मित हुआ था। श्रद्धालुओं को बाबा के जटाशंकर स्वरूप के दर्शन होंगे।

भादो माह के शुक्ल पक्ष में पड़ी अमावस्या सोमवार को होने के कारण इससे पितृदोष निवारण के लिए उत्तम संयोग बन रहा है। यह शिव भक्तों लिए श्रेष्ठकर और फलकारी होगा। सोमवती अमावस्या का तिथिगत संयोग होने से शिव साधक उनकी आराधना और अभिषेक करके श्रेष्ठ संयोग का लाभ ले सकते हैं।

ज्योतिषाचार्य होस्करे के अनुसार अमावस्या और सोमवार दोनों एक ही तिथि में होने का संयोग बन रहा है। सोमवती अमावस्या केतु प्रधान नक्षत्र होने और मूल प्रवृत्ति नक्षत्र में पड़ने से ऐसा संयोग बना है। मान्यता है कि इस तिथि में विधिपूर्वक शिव आराधना और अभिषेक, पूजन करने से जीवन के दोष खत्म होते हैं।

ND
यह तिथिगत संयोग अंचल में मनाए जाने वाले पोला पर बनने से पशु धन से जु़ड़े इस पर्व के लिए भी उत्तम है। कृषि कार्य के में सहायक बैल के संरक्षण और संवर्धन और कृषि कार्य से जु़ड़े लोगों के लिए अच्छा संकेत देता है। पोला पर महिलाओं के द्वारा उपासना किए जाने से परिवार में सुख-शांति और खुशहाली बढ़ती है, ऐसा भी माना जाता है।

साथ ही पोला पर्व छत्तीसगढ़ अंचल के प्रमुख पर्वों में एक है। खेती-किसानी से जुड़े लोग परंपरागत रूप से मनाते हैं। इसमें बैल की पूजा और उसका विशेष श्रृंगार किया जाता है। महिलाएं जांते की सफाई कर उसकी पूजा करती हैं। छत्तीसगढ़ में पंरपरागत रूप से मनाया जाने वाला पोला पर्व सोमवार को धूमधाम से मनाया जाएगा।

ग्रामीण संस्कृति में इस पर्व का अत्यधिक महत्व है। यह माटी और संस्कृति से जुड़ा हुआ प्रमुख त्योहार है, जो हमें मानव जीवन और खेती-किसानी में पशुधन की महती भूमिका की याद दिलाकर पशुधन के प्रति भी सम्मान प्रकट करने की प्रेरणा देता है। पोला के साथ सोमवती अमावस्या का आज श्रेष्ठ संयोग बन रहा है।

होती है लक्ष्मी की प्राप्ति
भाद्रपद की अमावस्या कुशग्रहणी या पिठोरा अमावस्या के नाम से जानी जाती है। इस वर्ष सोमवार के दिन आने से यह सोमवती कहलाई। कुशग्रहणी अमावस्या पर कुश संचय का महत्व है। इस दिन सतियों का पूजन भी शास्त्र सम्मत है।

सोमवती अमावस्या पर सोमकुंड व शिप्रा में स्नान कर दान-पुण्य करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। अभिजीत मुहूर्त में स्नान का विशेष महत्व है। अमावस्या प्रायः तीन काल की मानी जाती है।

अमावस्या की रात्रि लक्ष्मी प्राप्ति के लिए शास्त्रोक्त मानी गई है। इस रात्रि को अच्छे चौघडि़ए में महालक्ष्मी की मूर्ति के पास लाल वस्त्र पर कुशा को स्थान दें तथा पंचोपचार व षोडशोपचार पूजन करें। श्रीसुक्त का पाठ करें। इससे महालक्ष्मी प्रसन्न होती है तथा परिवार को धन-धान्य व सुख प्रदान करती है। दीपावली पर्यंत प्रति अमावस्या इस प्रकार का पूजन करने से महालक्ष्मी की प्राप्ति होती है।

वेबदुनिया पर पढ़ें