रत्न और उपरत्न कई प्रकार के होते हैं। जैसे- मूंगा (प्रवाल), ओपल या हीरा, पन्ना, मोती, माणिक, पुखराज, नील, गोमेद, लहसुनिया सुलेमानी पत्थर, वैक्रांत, यशद, फिरोजा, अजूबा, अहवा, अबरी, अमलिया, उपल, उदाऊ, कर्पिशमणि, कसौटी, कटैला, कांसला, कुरण्ड, कुदरत, गुदड़ी, गोदंती, गौरी, चकमक, चन्द्रकांत, चित्तो, चुम्बक, जबरजद्द, जहर मोहरा, जजेमानी, झरना, टेढ़ी, डूर, तिलियर, तुरसावा, तृणमणि, दाने फिरग, दांतला, दारचना, दूरनजफ, धुनला, नरम या लालड़ी, नीलोपल या लाजवर्त, पनघन, हकीक, पारस, फाते जहर, फिरोजा, बसरो, बांसी, बेरुंज, मरगज, मकड़ी, मासर मणि, माक्षिक, मूवेनजफ, रक्तमणि या तामड़ा, रक्ताश्म, रातरतुआ, लास, मकराना, लूधिया, शेष मणि, शैलमणि या स्फटिक, शोभामणि या वैक्रांत, संगिया, संगेहदीद, संगेसिमाक, संगमूसा, संगमरमर, संगसितारा, सिफरी, सिन्दूरिया, सींगली, सीजरी, सुनहला, सूर्यकांत, सुरमा, सेलखड़ी, सोनामक्खी, हजरते बेर, हजरते ऊद, हरितोपल, हरितमणि आदि। प्राचीन ग्रंथों में रत्नों के 84 से अधिक प्रकार बताए गए हैं। उनमें से बहुत तो अब मिलते ही नहीं। आओ जानते हैं मरगज रत्न के बारे में संक्षिप्त जानकारी।