Yellow Sapphire benefits: विवाह में बार-बार रुकावटें आ रही हैं? मनचाहा जीवनसाथी नहीं मिल रहा? या विवाह के बाद खुशहाल जीवन की उम्मीद अधूरी रह गई है? अगर ऐसा है, तो ज्योतिष शास्त्र में पुखराज रत्न को धारण करना एक प्रभावी उपाय माना गया है। आइए जानते हैं पुखराज के फायदे, धारण विधि और इससे जुड़े जरूरी पहलू।
पुखराज रत्न का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पुखराज रत्न बृहस्पति ग्रह से जुड़ा है। इसे धारण करने से बृहस्पति ग्रह की सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा मिलता है। बृहस्पति को धन, शिक्षा, विवाह, और संतान सुख का कारक माना जाता है।
पुखराज रत्न कैसे करता है मदद?
विवाह में बाधा दूर करता है: जिन लोगों की कुंडली में बृहस्पति कमजोर होता है, उन्हें विवाह में देरी या समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पुखराज इसे दूर करने में सहायक है।
जीवन में स्थिरता लाता है: पुखराज आपके जीवन में स्थिरता और सफलता की संभावनाओं को बढ़ाता है।
आर्थिक समस्याओं को कम करता है: यह रत्न वित्तीय संकट को दूर करने में भी मदद करता है।
पुखराज रत्न धारण करने की सही विधि
पुखराज रत्न को धारण करने से पहले इसकी शुद्धता और प्रभाव का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।
पुखराज धारण करने का सही समय और दिन दिन: गुरुवार समय: सूर्योदय के समय धातु: सोने या चांदी में जड़वाएं
ऊर्जा प्रक्रिया: रत्न को हल्दी के पानी में रातभर रखें। अगले दिन इसे विष्णु मंत्र "ॐ बृं बृहस्पतये नमः" का 108 बार जाप करके पहनें।
पुखराज धारण करने से पहले एक्सपर्ट से सलाह क्यों जरूरी है?
हर व्यक्ति की कुंडली अलग होती है, इसलिए बिना ज्योतिषीय सलाह के पुखराज धारण न करें। गलत रत्न या गलत धारण विधि नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
अगर विवाह में समस्याएं आ रही हैं या जीवन में स्थिरता नहीं है, तो पुखराज रत्न धारण करना आपके लिए शुभ हो सकता है। लेकिन इसे पहनने से पहले किसी अच्छे ज्योतिषाचार्य से परामर्श जरूर करें।
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